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Uttarakhand Election Result: गढ़वाल मंडल में बीजेपी का दबदबा बरकरार

ओवरऑल देखा जाए तो गढ़वाल मंडल (garhwal region) में 2017 के चुनाव की तरह इस बार भी बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा रहा है. जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों के आधार पर बीजेपी बढ़त बनाने में कामयाब रही और गढ़वाल की 41 सीटों में से 29 सीटों पर बीजेपी प्रत्याशियों ने जीत हासिल की. जबकि, पिछले चुनाव में बीजेपी ने गढ़वाल मंडल से 34 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं, इस बार कांग्रेस ने गढ़वाल मंडल में 8 सीटें हासिल की है. जबकि, बसपा को दो और दो सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत हासिल की है.

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गढ़वाल मंडल

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Published : Mar 10, 2022, 10:14 PM IST

Updated : Mar 11, 2022, 11:46 AM IST

देहरादून:उत्तराखंड चुनाव 2022 के परिणाम सामने आ गए हैं. ऐसे में गढ़वाल मंडल (garhwal region) में इस बार अधिकांश बीजेपी प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है. उत्तराखंड की 41 विधानसभा सीट गढ़वाल मंडल में आती हैं. लिहाजा, गढ़वाल मंडल की अधिकांश सीटों पर जीत हासिल करके बीजेपी एक बार फिर प्रदेश में सरकार बनाने जा रही है. 2017 के चुनाव की बात करें तो गढ़वाल मंडल की 34 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी. वहीं, इस चुनाव में बीजेपी को कुछ सीटें गंवानी पड़ी हैं.

गढ़वाल मंडल में सीटों का समीकरण देखें तो कुछ हद तक देहरादून और पूरा हरिद्वार जिला मैदानी है. इन दोनों जिलों में मिलाकर 21 विधानसभा सीटें हैं. बाकी 5 जिलों उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, टिहरी, चमोली और पौड़ी जिले में 20 विधानसभा सीटें हैं. इन सभी जिलों में ठाकुर और ब्राह्मण मतदाता ही हार-जीत के मुख्य समीकरण तय करते हैं. इस चुनाव में गढ़वाल मंडल में 391 प्रत्याशियों ने अपना भाग्य आजमाया. जिसमें से भाजपा ने 65% से ज्यादा ठाकुर और ब्राह्मण जाति के प्रत्याशी मैदान में उतरा था. वहीं, कांग्रेस ने भी करीब इतने ही प्रतिशत ठाकुर और ब्राह्मण जाति के नेताओं को प्रत्याशी बनाया था. लेकिन इस चुनाव में भी गढ़वाल मंडल में बीजेपी प्रत्याशियों ने कांग्रेस के प्रत्याशियों को पछाड़ा है.

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वहीं, इस चुनाव में भी गढ़वाल मंडल को लेकर कांग्रेस और भाजपा की अपनी-अपनी प्राथमिकताएं रहीं थी. कांग्रेस ने हरीश रावत और दूसरे समीकरणों के चलते खुद को कुमाऊं में मजबूत माना और इसको लेकर कुमाऊं में ज्यादा मेहनत की. लेकिन हरीश रावत को लालकुआं विधानसभा के करारी शिकस्त मिली. वहीं, बीजेपी ने भी गढ़वाल में खुद को मजबूत मानते हुए कुमाऊं पर अधिक जोर दिया. हालांकि, सीएम धामी खटीमा विधानसभा से चुनाव हार गए.

उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में ही चारधाम (गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ) है. कांग्रेस ने अपने चुनावी एजेंडे में चारधाम का ही नारा दिया है और उन्होंने चारधाम चार काम के नाम से लोगों को प्रभावित करने की कोशिश की लेकिन बीजेपी हिंदुत्व की लाइन पर चलती रही, लिहाजा गढ़वाल मंडल में अपने इसी एजेंडे के तहत बीजेपी खुद को मजबूत मानती रही और गढ़वाल मंडल में इस बार 29 सीटों पर बीजेपी के प्रत्याशी जीते.

उत्तराखंड में जातीय समीकरण.

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ओवरऑल देखा जाए तो गढ़वाल मंडल में 2017 के चुनाव की तरह इस बार भी बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा रहा है. जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों के आधार पर बीजेपी बढ़त बनाने में कामयाब रही और गढ़वाल की 41 सीटों में से 29 सीटों पर बीजेपी प्रत्याशियों ने जीत हासिल की. जबकि, पिछले चुनाव में बीजेपी ने गढ़वाल मंडल से 34 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं, इस बार कांग्रेस ने गढ़वाल मंडल में 8 सीटें हासिल की है. जबकि, बसपा को दो और दो सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत हासिल की है.

मुस्लिम और दलित आबादी का गठजोड़:उत्तराखंड में धार्मिक रूप से जनसंख्या का वर्गीकरण करें तो राज्य में 83% हिंदू, 14% मुस्लिम और 2.4% सिख आबादी है. गढ़वाल मंडल में 41 विधानसभा सीटों में करीब 12 विधानसभा सीटों में मुस्लिम और दलित गठजोड़ चुनाव जीतने के लिए बेहद अहम है. उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में करीब 15% मुस्लिम वोटर हैं. इसमें 8 विधानसभा सीटें हरिद्वार जिले की हैं. जबकि, 3 विधानसभा सीटें देहरादून जिले की हैं और एक विधानसभा सीट पौड़ी की है. हालांकि, मुस्लिम और दलित आबादी बाकी विधानसभा सीटों में भी है, लेकिन निर्णायक भूमिका में दोनों का गठजोड़ इन12 सीटों पर महत्वपूर्ण रहता है.

गढ़वाल मंडल में बीजेपी का दबदबा बरकरार.

वहीं, उत्तराखंड में 13 विधानसभा सीटें में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. जबकि 2 विधानसभा सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. इसमें 13 आरक्षित सीटों में 8 विधानसभा सीटें गढ़वाल मंडल में हैं. जबकि 1 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट भी गढ़वाल मंडल में है. उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में 18% दलित वोटर हैं.

ऐसे में इस बार हरिद्वार जिले में बीजेपी को पांच सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है. जहां 2017 के चुनाव में बीजेपी ने हरिद्वार जिले में आठ सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं, इस बार बीजेपी को तीन सीटों पर ही संतुष्ट होना पड़ा है. इस चुनाव में बसपा की वापसी हुई है और दो सीटों पर बसपा प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है. जबकि, एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत हासिल की है.

गढ़वाल मंडल में बीजेपी का दबदबा बरकरार.

इस विधानसभा चुनाव में हरिद्वार जिले 11 विधानसभा सीटों में इस बार बीजेपी ने केवल तीन ही सीटों पर जीत हासिल की है. जबकि, पांच सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की है. वहीं, इस चुनाव में बसपा की वापसी हुई है और दो सीटों पर चुनाव जीतने में बसपा प्रत्याशी कामयाब हुए हैं. जबकि, एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत दर्ज कराई है.

यहां रुड़की विधानसभा सीट से जहां बीजेपी के सीटिंग विधायक प्रदीप बत्रा ने जीत हासिल की है. वहीं, हरिद्वार सीट से सीटिंग विधायक मदन कौशिक ने भी पांचवीं बार विधानसभा चुनाव जीता है. वहीं, रानीपुर बीएचईएल विधानसभा से भी सीटिंग विधायक आदेश चौहान जीत हासिल करने में कामयाब हुए हैं.

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जबकि, हरिद्वार ग्रामीण सीट से कांग्रेस की अनुपमा रावत, ज्वालापुर से कांग्रेस के रवि भंडारी, झबरेड़ा से कांग्रेस के विरेंद्र कुमार जाटी, पिरान कलियर से सिंटिंग विधायक कांग्रेस फुरकान अहमद, भगवानपुर सीट से सीटिंग विधायक कांग्रेस ममता राकेश ने जीत हासिल की है. जबकि, लक्सर सीट से बसपा के शहजाद ने सीटिंग विधायक बीजेपी संजय गुप्ता को हराया है. वहीं, मंगलौर सीट से भी बसपा के सरवत करीम अंसारी ने जीत हासिल की है.

उत्तराखंड के जातीय समीकरण.

साथ ही इस बार खानपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी उमेश कुमार ने जीत हासिल की है. ऐसे में 2017 के चुनाव के मुकाबले बीजेपी ने हरिद्वार जिले में पांच सीटें अपने हाथों से गंवाई है. वहीं, पिछले चुनाव के मुकाबले हरिद्वार जिले में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा है. इस चुनाव में कांग्रेस पांच सीटों में जीत हासिल की है.

वहीं, देहरादून जिले में इस बार भी पिछले विधानसभा चुनाव की तरह बीजेपी का दबदबा बकरार रहा है. यहां 10 विधानसभा सीटों में से बीजेपी ने 9 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की है. वहीं, विकासनगर सीट से मुन्ना सिंह चौहान, रायपुर सीट से उमेश शर्मा काऊ, राजपुर सीट से खजान दास, देहरादून कैंट से सविता कपूर, मसूरी सीट से गणेश जोशी, डोईवाला सीट से ब्रज भूषण गैरोला, ऋषिकेश सीट से प्रेमचंद अग्रवाल, धर्मपुर सीट से विनोद चमोली और सहसपुर सीट से सहदेव पुंडीर ने जीत हासिल की है. वहीं, इस चुनाव में भी हर बार की तरह चकराता विधानसभा सीट से कांग्रेस के प्रीतम सिंह ने जीत हासिल की है.

गढ़वाल के पहाड़ी जिलों में बीजेपी का दबदबा:वहीं, पौड़ी जिले की छह की छह विधानसभा सीटों में 2017 के चुनाव की तरह इस बार भी बीजेपी ने कांग्रेस को क्लीन स्वीप किया है. यहां श्रीनगर गढ़वाल से धन सिंह रावत, कोटद्वार रितु खंडूड़ी, यमकेश्वर से रेनू बिष्ट, पौड़ी से राजकुमार पोरी, चौबट्टाखाल से सतपाल महाराज और लैंसडाउन से दलीप सिंह रावत ने जीत दर्ज की है.

गढ़वाल मंडल के टिहरी जिले की छह विधानसभा सीटों में से बीजेपी ने पांच विधानसभा सीटों पर परचम लहाराया है. यहां देवप्रयाग विधानसभा से विनोदी कंडारी, घनसाली से शक्ति लाल शाह, नरेंद्रनगर से सुबोध उनियाल, टिहरी से किशोर उपाध्याय और धनौल्टी से प्रीतम सिंह पंवार ने जीत दर्ज की है. जबकि, प्रतापनगर में कांग्रेस के विक्रम सिंह नेगी ने सिटिंग विधायक विजय पंवार को हराकर इस सीट पर कब्जा किया है.

उत्तरकाशी जिले की तीन विधानसभा सीटों में से दो पर बीजेपी ने इस चुनाव में कब्जा किया है. पुरोला से दुर्गेश्वर लाल और गंगोत्री से सुरेश चौहान ने जीत हासिल की है. जबकि, यमुनोत्री से बीजेपी के सीटिंग विधायक केदार सिंह रावत को हराकर यहां कांग्रेस छोड़कर निर्दलीय चुनाव में उतरे संजय डोभाल ने जीत हासिल की है.

इस बार रुद्रप्रयाग जिले के अंतर्गत आने वाली दोनों विधानसभा सीटों पर बीजेपी प्रत्याशियों ने भगवा लहराया है. केदारनाथ विधानसभा सीट पर जहां बीजेपी की शैलारानी ने जीत हासिल कर सीटिंग विधायक मनोज रावत को हराया है. वहीं, रुद्रप्रयाग विधानसभा सीट से बीजेपी के सीटिंग विधायक भरत सिंह चौधरी ने यहां दोबारा जीत दर्ज की है.

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चमोली जिले की तीन विधानसभा सीटों में दो विधानसभा सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की है. थराली से भोपाल राम टम्टा और कर्णप्रयाग से अनिल नौटियाल ने यहां से जीत दर्ज की है. वहीं, बदरीनाथ विधानसभा सीट इस बार कांग्रेस के खाते में गई है. कांग्रेस के राजेंद्र सिंह भंडारी ने यहां सीटिंग विधायक महेंद्र भट्ट को हराया है.

बहरहाल, इस बार उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे देखें जाएं तो 2017 के मुकाबले बीजेपी की परफॉर्मेंस हरिद्वार जिले में थोड़ा घटी है. वहीं, गढ़वाल मंडल की यमुनोत्री सीट भी इस बार बीजेपी को गंवानी पड़ी है. राहत की बात ये है कि केदारनाथ विधानसभा सीट को इस बार बीजेपी ने कांग्रेस से छीन लिया है. इस बार बीजेपी को गढ़वाल मंडल की 41 सीटों में से 29 सीटें मिली है.

कुला मिलाकर देखा जाए तो केदारनाथ विधानसभा में इस बार बीजेपी ने भगवा लहराकर एक बड़ा मैसेज दिया है. क्योंकि 2013 की आपदा के बाद केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्य पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है और वह समय-समय पर केदारनाथ धाम के दर्शनों के लिए आते रहते हैं. लिहाजा, गढ़वाल मंडल की यह केदारनाथ विधानसभा सीट कांग्रेस से छीनना बीजेपी की हिंदुत्ववादी छवि को ओर निखारेगा.

Last Updated : Mar 11, 2022, 11:46 AM IST

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