लखनऊ: उत्तर प्रदेश में करीब 300 ऐसे वार्ड हैं, जहां मुस्लिम बाहुल्य होने के नाते बीजेपी पहले चुनाव नहीं लड़ती थी. मगर इस बार पार्टी ने यह तय कर लिया है कि हर इलाके और हर वार्ड में भाजपा का प्रत्याशी उतरेगा और चुनाव लड़ेगा. मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में मुस्लिम उम्मीदवार भाजपा के कमल के निशान पर उतारे जाने की रणनीति है.
बता दें कि भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा का प्रशिक्षण आज समाप्त हो गया है. इस प्रशिक्षण वर्ग के जरिए भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में मुसलमानों के बीच अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रही है. 2022 के विधानसभा चुनाव जीतने के बाद एक सर्वे में यह तथ्य सामने आया था कि करीब 8 फीसदी मुसलमानों ने भारतीय जनता पार्टी को वोट दिया था. जो कांग्रेस को मिले मुसलमानों की वोटों की संख्या से ज्यादा था.
भारतीय जनता पार्टी को यह यकीन है कि लाभार्थियों को जो लाभ भारतीय जनता पार्टी ने दिया है, उसमें बड़ी संख्या मुसलमानों की है. इसके जरिए वो मुसलमानों को अपनी ओर खींच सकते हैं. विधानसभा चुनाव में ऐसा हुआ भी है, जिसके बाद अब निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी मुसलमानों को चुनाव में उतार कर उनके अधिक से अधिक वोट जीतने की रणनीति तय की है.
यह भी पढ़ें-अखिलेश यादव फिर निकाय चुनाव में चलेंगे पुराना दांव, छोटे दलों के साथ खेलेंगे बड़ी राजनीतिक पारी
लखनऊ, कानपुर, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, अयोध्या, सहारनपुर, मेरठ समेत पूर्वांचल के कई जिलों में कई वार्ड मुस्लिम बाहुल्य हैं. यहां मुसलमानों की संख्या 80 से 90 फीसदी है. लखनऊ में कल्बे आबिद वार्ड, कानपुर का चमनगंज वार्ड, लखनऊ में हुसैनाबाद वार्ड और ऐसे ही अलग-अलग जिलों में कई ऐसे वार्ड हैं, जहां मुस्लिम वोटों की संख्या इतनी ज्यादा है कि बीजेपी को जीत कभी मिली ही नहीं.
ऐसे में अब बीजेपी ने अल्पसंख्यक मोर्चा को सक्रिय कर दिया है. ताकि इन वार्डों में भी भाजपा को जीत मिल सके. उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव में मुस्लिम वोटरों की तादाद करीब 20 फीसदी है, जिनमें से 300 वार्ड ऐसे हैं, जहां उनकी संख्या 80 से 90 फीसदी तक है.
बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष और अल्पसंख्यक मोर्चा प्रभारी एमएलसी सलिल विश्नोई ने बताया कि इस बार भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश के सभी वार्डों में अपना उम्मीदवार उतारेगी. मुसलमानों की संख्या जहां ज्यादा है वहां अल्पसंख्यक मोर्चा से जुड़े मुस्लिम उम्मीदवारों को स्थान दिया जाएगा. इससे मुस्लिमों के बीच में बीजेपी पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा अपनी जगह बनाएगी. सीटों की हार-जीत की बात को छोड़ दिया जाए तो ऐसी सीटों पर चुनाव लड़कर वोट प्रतिशत बढ़ाने में कामयाबी जरूर मिलेगी.
यह भी पढ़ें-बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी का गोरखपुर और संत कबीर नगर दौरा आज, कार्यकर्ताओं की नब्ज टटोलेंगे