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BJP balances caste in Karnataka : लिंगायत के साथ-साथ वोक्कालिगा को भी साधने की कोशिश में भाजपा - कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023

कर्नाटक में भाजपा लिंगायत समुदाय के साथ-साथ पार्टी वोक्कालिगा को भी साधने की जुगत में है. पार्टी ने एक रणनीति के तहत यह फैसला किया है. पार्टी चाहती है कि उसे कांग्रेस और जेडीएस के उन क्षेत्रों में सफलता मिले, जहां मुख्य रूप से वोक्कालिगा की आबादी ज्यादा है.

B Bommai
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई

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Published : Apr 13, 2023, 12:51 PM IST

नई दिल्ली : कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपनी दूसरी सूची जारी कर दी है. पहली सूची में पार्टी ने 189 सीटों पर उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की, दूसरी सूची में 23 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं. अब तक कुल 17 विधायकों के टिकट काटे जा चुके हैं.

भाजपा ने अब तक जितने भी उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की है, उनमें जातीय बैलेंस को साधाने की कोशिश साफ तौर पर नजर आ रही है. ऐसा माना जाता रहा है कि भाजपा को लिंगायत समुदाय का वोट मिलता रहा है. अपनी इस छवि से निकलकर पार्टी पूरी कोशिश कर रही है कि उसे कर्नाटक के दूसरे सबसे अधिक प्रभावशाली समुदाय (खासकर वोक्कालिगा) में भी वैसी ही स्वीकार्यता मिले. लिंगायत 17 फीसदी और वोक्कालिगा 15 फीसदी हैं. लिंगायत का प्रभुत्व करीब 100 सीटों पर और वोक्कालिगा का प्रभाव करीब 80 सीटों पर है. संभवतः यही वजह है कि इस बार पार्टी ने वोक्कालिगा समुदाय के उम्मीदवारों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में टिकट बांटने की घोषणा की है. 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 28 वोक्कालिगा समुदाय के लोगों को टिकट दिया था, लेकिन इस बार पार्टी ने पहली ही सूची में 41 वोक्कालिगा को टिकट देने का ऐलान किया.

आंकड़ों की बात करें तो पिछली बार वोक्कालिगा समुदाय के छह उम्मीदवार भाजपा की टिकट पर जीते थे. पार्टी की कोशिश है कि उस मैसुरू रीजन में सफलता मिले, जहां पर वोक्कालिगा समुदाय के मतदाता सबसे अधिक हैं. इस रीजन में जेडीएस और कांग्रेस को अधिक सफलता मिलती रही है. इसलिए इस बार पार्टी ने अपनी रणनीति बदल ली है. दबाव के बावजूद पार्टी ने पहली ही सूची में वोक्कालिगा समुदाय के 41 उम्मीदवारों को टिकट बांट दिया.

वोक्कालिगा समुदाय के बीच पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा भावनात्मक अपील कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि यह उनका आखिरी चुनाव है. इसी तरह के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार भी वोक्कालिगा हैं. उन्हें भी उम्मीद है कि जीत उनकी पार्टी की ही होगी.

लिंगायत समुदाय को लेकर पार्टी आश्वस्त इसलिए नजर आ रही है, क्योंकि इस समुदाय के सबसे अधिक लोकप्रिय नेता बीएस येदियुरप्पा को भाजपा ने फिर से मनाने की पूरी कोशिश की है. उन्हें संसदीय बोर्ड में जगह दी गई. टिकट बंटवारे में उनकी राय ली गई. उन्हें अलग-अलग रैलियों में चेहरे के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. उनके बेटे को शिकारीपुरा की सीट दी गई. साथ ही मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई भी लिंगायत समुदाय से ही आते हैं. पार्टी ने आरक्षण का दांव पहले ही चल दिया है. मुस्लिमों को मिलने वाले चार फीसदी आरक्षण को खत्म कर उसे लिंगायत और वोक्कालिगा को दे दिया है.

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