नई दिल्ली : कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपनी दूसरी सूची जारी कर दी है. पहली सूची में पार्टी ने 189 सीटों पर उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की, दूसरी सूची में 23 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं. अब तक कुल 17 विधायकों के टिकट काटे जा चुके हैं.
भाजपा ने अब तक जितने भी उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की है, उनमें जातीय बैलेंस को साधाने की कोशिश साफ तौर पर नजर आ रही है. ऐसा माना जाता रहा है कि भाजपा को लिंगायत समुदाय का वोट मिलता रहा है. अपनी इस छवि से निकलकर पार्टी पूरी कोशिश कर रही है कि उसे कर्नाटक के दूसरे सबसे अधिक प्रभावशाली समुदाय (खासकर वोक्कालिगा) में भी वैसी ही स्वीकार्यता मिले. लिंगायत 17 फीसदी और वोक्कालिगा 15 फीसदी हैं. लिंगायत का प्रभुत्व करीब 100 सीटों पर और वोक्कालिगा का प्रभाव करीब 80 सीटों पर है. संभवतः यही वजह है कि इस बार पार्टी ने वोक्कालिगा समुदाय के उम्मीदवारों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में टिकट बांटने की घोषणा की है. 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 28 वोक्कालिगा समुदाय के लोगों को टिकट दिया था, लेकिन इस बार पार्टी ने पहली ही सूची में 41 वोक्कालिगा को टिकट देने का ऐलान किया.
आंकड़ों की बात करें तो पिछली बार वोक्कालिगा समुदाय के छह उम्मीदवार भाजपा की टिकट पर जीते थे. पार्टी की कोशिश है कि उस मैसुरू रीजन में सफलता मिले, जहां पर वोक्कालिगा समुदाय के मतदाता सबसे अधिक हैं. इस रीजन में जेडीएस और कांग्रेस को अधिक सफलता मिलती रही है. इसलिए इस बार पार्टी ने अपनी रणनीति बदल ली है. दबाव के बावजूद पार्टी ने पहली ही सूची में वोक्कालिगा समुदाय के 41 उम्मीदवारों को टिकट बांट दिया.