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कांग्रेस शासित राज्यों में बलात्कार के मामलों पर नहीं बोलते राहुल गांधी : संबित पात्रा

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राहुल गांधी पर दक्षिण पश्चिम दिल्ली में दलित बच्ची से कथित बलात्कार और हत्या मामले का अपने राजनीतिक एजेंडा को बढ़ाने में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया और कहा कि पीड़िता के परिवार को न्याय दिलाने के लिए कानून व्यवस्था तंत्र तेजी से काम कर रहा है.

राहुल गांधी संबित पात्रा पॉक्सो एक्ट
राहुल गांधी संबित पात्रा पॉक्सो एक्ट

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Published : Aug 4, 2021, 1:57 PM IST

Updated : Aug 4, 2021, 4:24 PM IST

नई दिल्ली : भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने आरोप लगाया कि गांधी परिवार का चयन का तरीका निंदनीय है क्योंकि उन्होंने राजस्थान, पंजाब और छत्तीसगढ़ जैसे कांग्रेस शासित राज्यों में दलित लड़कियों के खिलाफ अत्याचार के मामलों में कभी न तो ट्वीट किया और न ही एक शब्द बोला है. राहुल गांधी ने इससे पहले बुधवार को पीड़ित बच्ची के परिवार से मुलाकात कर पीड़िता के लिए इंसाफ की मांग की.

उन्होंने राहुल गांधी पर बच्ची के परिवार से मिलने के बाद उसके माता पिता की तस्वीर पोस्ट कर उनकी पहचान उजागर कर यौन अपराध से बच्चों की सुरक्षा (पॉक्सो) कानून का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया.

पॉक्सो कानून के तहत पहचार उजागर करना अपराध की श्रेणी में आता है. पात्रा ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) से मामले में संज्ञान लेने और कांग्रेस नेता को नोटिस जारी करने का अनुरोध किया. उन्होंने गांधी पर हमला बोलते हुए कहा कि यह अपने राजनीतिक एजेंडा के लिए दलितों और गरीबों का इस्तेमाल करना है.

गांधी ने यहां उस नौ वर्षीय बच्ची के माता-पिता से मुलाकात की जिसकी पिछले दिनों कथित यौन उत्पीड़न के बाद संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी. उन्होंने कहा कि वह न्याय के पथ पर पीड़ित परिवार के साथ हैं और वे इससे एक इंच भी नहीं डिगेंगे.

भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा

पीड़ित परिवार से मुलाकात के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि परिवार न्याय के अलावा कुछ नहीं मांग रहा है. वे कह रहे हैं कि उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है और इसमें मदद की जरूरत है. पात्रा ने राजस्थान, पंजाब और छत्तीसगढ़ में दलित लड़कियों और महिलाओं से ऐसे कई जघन्न मामलों का हवाला देते हुए इन मामलों में कांग्रेस नेता की चुप्पी को लेकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि आप अपनी आंखें मूंद लेते हैं और तभी खोलते हैं जब आपको लगता है कि इससे आपको कुछ राजनीतिक लाभ होगा.

यह भयावह है. उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस ने मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है. भाजपा प्रवक्ता ने गांधी के एक ट्वीट का हवाला देते हुए कहा कि एक दलित की बेटी निश्चित रूप से भारत की बेटी है और यह पूछा कि क्या इन कांग्रेस शासित राज्यों में दलित बेटियां भारत की बेटियां नहीं हैं.

आधिकारिक आंकड़ों का हवाला देते हुए पात्रा ने कहा कि बलात्कार के मामलों में राजस्थान देश में शीर्ष पर है. उन्होंने दावा किया कि राजस्थान सरकार ने दलितों पर कथित रूप से अधिक संख्या में झूठी प्राथमिकी दर्ज करने का आरोप लगाया है.

POCSO अधिनियम की विशेषताएं

बच्चों को 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों के रूप में परिभाषित किया गया है. अधिनियम लिंग तटस्थ है, अर्थात, यह स्वीकार करता है कि अपराध और अपराधियों के शिकार पुरुष, महिला या तीसरे लिंग हो सकते हैं. यह एक नाबालिग के साथ सभी यौन गतिविधि को अपराध बनाकर यौन सहमति की उम्र को 16 साल से 18 साल तक बढ़ा देता है.

POCSO अधिनियम बलात्कार (मर्मज्ञ यौन हमला) की समझ को व्यापक शारीरिक प्रवेश से शरीर के विशिष्ट भागों में या वस्तुओं के बच्चे के शरीर के निर्दिष्ट भागों में प्रवेश करने या बच्चे को इतना घुसने के लिए व्यापक बनाता है. यह उस व्यक्ति को भी दंडित करता है जो प्रवेश में संलग्न नहीं हो सकता है, लेकिन किसी अन्य व्यक्ति द्वारा बच्चे के प्रवेश का कारण हो सकता है या बच्चे को दूसरे में प्रवेश करने का कारण हो सकता है.

अधिनियम यह मानता है कि यौन शोषण में शारीरिक संपर्क शामिल हो सकता है या शामिल नहीं भी हो सकता है. यह इन अपराधों को यौन उत्पीड़न और के रूप में वर्गीकृत करता है. अधिनियम बच्चे के बयान को दर्ज करते समय और विशेष अदालत द्वारा बच्चे के बयान के दौरान जांच एजेंसी द्वारा विशेष प्रक्रियाओं का पालन करता है. सभी के लिए अधिनियम के तहत यौन अपराध के बारे में पुलिस को रिपोर्ट करना अनिवार्य है, और कानून में गैर-रिपोर्टिंग के लिए दंड का प्रावधान शामिल है.

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क्या है बाल संरक्षण अधिनियम की धारा-74

किशोर न्याय (देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 74 के तहत पीड़िता बच्चे की पहचान समाचार पत्र, पत्रिका या ऑडियो व वीडियो मीडिया या संचार के किसी भी अन्य माध्यम से नहीं की जा सकती. अधिनियम की धारा 74 (1) के तहत पीड़ित के नाम, पता तथा स्कूल बारे किसी भी प्रकार की कोई जानकारी मीडिया व अन्य तंत्र के माध्यम से प्रकाशित नहीं करवा सकता. इस कानून का उल्लंघन करने पर छह महीने का कारावास या 1 लाख रुपए जुर्माना या दोनों सजाएं हो सकती हैं.

Last Updated : Aug 4, 2021, 4:24 PM IST

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