कानपुरःयोगी सरकार के कैबिनेट मंत्री राकेश सचान को कानपुर की एसीएमएम तृतीय कोर्ट ने दोषी करार देते हुए फैसला सुरक्षित कर लिया है. मंत्री पर गिट्टी चोरी करने का आरोप है. शनिवार को कोर्ट में सुनवाई से पहले राकेश सचान ने खुद को सरेंडर कर दिया. जज के फैसला सुनाने से पहले वह फरार हो गए जिसके बाद पुलिस उनकी तलाश में जुट गई.
35 साल पहले यूपी सरकार में मंत्री राकेश सचान के खिलाफ रेलवे की ठेकेदारी के दौरान गिट्टी चोरी होने पर आईपीसी की धारा 389 और 411 में मुकदमा दर्ज किया गया था. चोरी गई गिट्टी की बरामदगी भी हो गई थी. मामला कोर्ट में विचाराधीन था. शनिवार को कोर्ट ने फैसले का दिन मुकर्रर किया. दोषी पाए जाने की भनक लगने के बाद राकेश सचान कोर्ट से फरार हो गए.
- धारा 389 में आरोप साबित हो जाने पर दस वर्ष कारावास और आर्थिक दण्ड का प्रावधान है. यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है.
- धारा 411 (चोरी की संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करना) के तहत आरोप सिद्ध होने पर तीन वर्ष कारावास या आर्थिक दंड या दोनों सजा का प्रावधान है.
मंत्री राकेश सचान का दावा
ईटीवी भारत संवाददाता से फोन पर बातचीत के दौरान मंत्री राकेश सचान ने बताया कि 1990 के आसपास उनके खिलाफ एक रायफल व एक डबल बैरल बंदूक के लाइसेंस न होने का मुकदमा दर्ज किया गया था जिसका लगातार ट्रायल चल रहा था. दावा किया कि शनिवार को उसी मामले की सुनवाई हुई थी. कहा कि 1990 के आसपास वह जनता दल से विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहे थे तभी तत्कालीन पीएम वीपी सिंह की रैली कानपुर में होनी थी और वह रैली की तैयारियां पूरी कराकर अपनी वैन से बर्रा स्थित आवास पर जा रहे थे. अचानक रास्ते में पुलिस ने वैन की तलाशी ली. वैन में एक रायफल व एक डबल बैरल बंदूक निकली, इनका लाइसेंस एमएसएमई मंत्री राकेश सचान के बाबा के नाम था. मंत्री ने पुलिस को लाइसेंस की जानकारी दी, मगर पुलिस ने उनकी एक न सुनी और मुकदमा दर्ज कर दिया. उन्होंने बताया कि उन पर कुल तीन मुकदमे दर्ज हैं. सभी मुकदमे छात्र जीवन के समय से हैं किसी तरह की चोरी का कोई मुकदमा उन पर दर्ज नहीं है.