नई दिल्ली : एक तरफ वैसे ही सरकार विपक्षियों के आरोपों से हर दिन घिरती नजर आ रही है, जिससे सरकार और सत्ताधारी पार्टी के नेताओं को बार-बार सफाई देनी पड़ रही है. ऐसे में बीजेपी के महत्वपूर्ण नेताओं द्वारा की जा रही बेलगाम टिप्पणियां पार्टी के लिए और मुश्किलें खड़ी कर रही हैं.
कोविड-19 की दूसरी लहर जब से आई है तब से सरकार भी विपक्षियों के निशाने पर है और केंद्र सरकार की तमाम मशक्कत के बावजूद भी आए दिन सरकार की किसी न किसी मुद्दे पर विपक्षी पार्टियों की तरफ से फजीहत की जा रही है, ऐसे में पार्टी के नेताओं की फिसलती जुबान और एक से बढ़कर एक टिप्पणी ने पार्टी की मुसीबतें और बढ़ा दी हैं. छोटे से लेकर बड़े नेता तक बढ़-चढ़कर टिप्पणियों से बाज नहीं आ रहे.
पिछले साल मार्च 2020 में जब महामारी देश में पांव पसार रही थी तब सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, सांसदों और विधायकों ने से शुरुआती दौर में ही इसे काफी हल्के में लिया था और कोविड-19 पर एक के बाद एक गलत टिप्पणियां कीं. एक साल बीत जाने के बावजूद महामारी का रूप अब विकराल रूप धारण कर चुका है, लेकिन इन नेताओं की गैर जिम्मेदाराना बयानबाजी पर अभी तक लगाम नहीं लगा है.
2020 में जब कोरोना की शुरुआत हुई, तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक सार्वजनिक सभा में कहा की योग और स्वस्थ दिमाग कोरोना वायरस के लिए दवा का काम कर सकता है. योगी ने आगे बढ़कर यहां तक कह दिया कि यदि कोई भी व्यक्ति दिमागी तनाव से दूर रहे तो उसे हार्ट अटैक, ब्लड प्रेशर, किडनी लीवर किसी तरह की बीमारी नहीं होगी और वह कोरोना वायरस से दूर रहेगा एक जिम्मेदार पद पर बैठे जिम्मेदार नेता के द्वारा दिया गया यह बयान कहीं ना कहीं लोगों में लापरवाही को बढ़ाने में जरूर बल देने वाला था.
इसके बाद बंगाल के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने यह कहकर लोगों को असमंजस में डाल दिया गोमूत्र पीने में कोई बुराई नहीं है और वह खुद गोमूत्र का सेवन करते हैं. दिलीप घोष ने यह बात अपनी ही पार्टी के एक राज्य स्तर के नेता नारायण चटर्जी की तरफ से गौ मूत्र से संबंधित आयोजित किए गए कार्यक्रम के बचाव में कही थी.
असम चुनाव प्रचार के दौरान असम के वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने भी यही कहा कि आसाम की अगर बात करें तो यहां कहीं भी कोविड-19 नहीं है और वह खुद बिहू फेस्टिवल को धूमधाम से मनाएंगे. यही नहीं जब मंत्रिमंडल को शपथ दिलाई जा रहा थी, तो स्वास्थ्य विभाग सहित कई मंत्री बगैर मास्क के शपथ लेते हुए नजर आए.
इतना ही नहीं खुद स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की सरकार से अपील का जवाब देते हुए इस साल के मार्च में आनन-फानन में यह दावा कर दिया कि कोविड अब भारत से रवानगी की ओर है और इस पर नेताओं को राजनीति नहीं करनी चाहिए.