नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि महाराष्ट्र में राजनीतिक अस्थिरता शिवसेना के एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर महा विकास अघाडी सरकार बनाने के साथ ही शुरू हो गई थी. उन्होंने कहा कि यह एक तरह से बेमेल राजनीतिक गठबंधन था, क्योंकि शिवसेना और बीजेपी के गठबंधन को जनाधार मिला था. लेकिन शिवसेना ने अपनी विचारधारा से समझौता किया, जिसके कारण पार्टी के अंदर लगातार असंतोष देखने को मिल रहा था. उन्होंने कहा कि जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट दिया था और शिवसेना ने महाराष्ट्र की जनता के साथ विश्वासघात किया है. यही नहीं, शिवसेना संस्थापक बाला साहब ठाकरे की जो विचारधारा थी, उद्धव ठाकरे ने उसपर कुठाराघात करके स्वार्थ की राजनीति को बढ़ावा दिया.
इस सवाल पर कि एक समय शिवसेना अति हिंदूवादी पार्टी मानी जाती थी, क्या विपक्षी पार्टियों के साथ बेमेल गठबंधन करने की वजह से शिवसेना के विधायक असंतुष्ट हैं, उन्होंने कहा कि मैं इस अतिवादिता को नहीं मानता, एक तरफ जब से हम स्वतंत्र हुए कांग्रेस और खास तौर पर यूपीए की सरकार ने वोट बैंक की राजनीति की और वह मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करती रही है, और उनके साथ समाजवादी पार्टी और एनसीपी जैसी पार्टियां भी रहीं, उससे देश में सामाजिक अस्थिरता आ रही थी और यह इसी का परिणाम था कि शिवसेना जैसी हिंदुत्व की विचारधारा वाली पार्टियों का जन्म हुआ. यह मात्र हिंदुत्व की बात नहीं थी बल्कि कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति की वजह से इस विचारधारा को आगे आना पड़ा था और प्रखर राष्ट्रवाद को लेकर बीजेपी भी आगे बढ़ी. लेकिन आज जो उद्धव ठाकरे कर रहे हैं उससे इस विचारधारा का कोई मेल नहीं है बल्कि वह स्वार्थ की राजनीति कर रहे हैं.