बिलकिस बानो केस के फैसले पर फारूक अब्दुल्ला बोले- फैसले का करना चाहिए स्वागत
farooq abdulla bilkis bano verdict: सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. इस फैसले के तुरंत बाद कुछ राजनीतिक दलों के नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी.
बिलकिस बानो फैसले पर फारूक अब्दुल्ला बोले- इस फैसले का स्वागत करना चाहिए
हैदराबाद:सुप्रीम कोर्ट द्वारा बिलकिस बानो मामले में फैसला सुनाए जाने के तुरंत बाद कई नेताओं की ओर से प्रतिक्रिया आई. इन नेताओं ने शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत किया और पीएम मोदी सरकार की आलोचना की. ईटीवी भारत से फोन पर बात करते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस के सुप्रीमो फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि हम सभी को सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करना चाहिए.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के सुप्रीमो ने कहा,'यह हमारे संविधान की रक्षा करने वाली सर्वोच्च संस्था है. मुझे उम्मीद है कि गुजरात सरकार इस पर गौर करेगी.' कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा, 'हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं. यह फैसला न केवल गुजरात सरकार के लिए बल्कि केंद्र सरकार के लिए भी शर्मनाक है.'
उन्होंने कहा, 'गुजरात पीएम मोदी का गृह नगर है. जिस दिन पीएम ने लालकिला से महिला सशक्तिकरण पर भाषण दिया था, उस भाषण के 2 घंटे बाद गुजरात सरकार ने उन 11 बलात्कारियों को जेल से रिहा कर दिया और उनकी रिहाई के बाद उन सभी का फूलमालाओं से स्वागत किया गया. उन सभी का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए किया गया.'
उन्होंने आगे कहा, 'यह सब दिखाता है कि महिला सशक्तिकरण और 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' पर पीएम के दावे खोखले हैं. आप देश में जो देख रहे हैं, चाहे वह हाथरस, उन्नाव का मामला हो या जिस तरह से ओलंपिक विजेताओं के साथ व्यवहार किया जा रहा है, यह सब दर्शाता है कि महिलाओं को केंद्र सरकार से कोई उम्मीद नहीं है.
आज के सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने उन्हें उम्मीद दी है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में 2002 के दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में 11 दोषियों को सजा में छूट देने के गुजरात सरकार के फैसले को सोमवार को रद्द कर दिया. बिलकिस बानो 21 साल की थीं और पांच महीने की गर्भवती थीं, जब गोधरा ट्रेन जलाने की घटना के बाद भड़के सांप्रदायिक दंगों के डर से भागते समय उसके साथ बलात्कार किया गया था. उनकी तीन बेटियों की भी मौत हुई थी. इन सभी 11 दोषियों को 15 अगस्त 2022 को छूट के तहत रिहा कर दिया गया, जिससे न केवल विपक्ष बल्कि नागरिक समूहों और महिलाओं में भी भारी आक्रोश पैदा हो गया.