पटना:बिहार में प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक होने का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. बीते दिनों अमीन बहाली परीक्षा में प्रश्न पत्र लीक हुआ था. अभी इस पर कानूनी कार्रवाई चल ही रही थी कि इसी बीच 1 अक्टूबर को आयोजित बिहार सिपाही भर्ती परीक्षा में प्रश्न पत्र लीक हो गया. इसकी पुष्टि हुई और सीएसबीसी को यह परीक्षा रद्द करनी पड़ी. इसके साथ ही 7 अक्टूबर और 15 अक्टूबर को होने वाली लिखित परीक्षा को भी अगले आदेश के लिए स्थगित कर दिया गया है. ऐसे में अब बिहार में आए दिन भर्ती परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक होने के कारण गुजरात की तर्ज पर बिहार में भी विधानसभा से शिक्षा माफियाओं के लिए कठोर कानून बनाने की मांग तेज हो गई है. विपक्ष के साथ-साथ शिक्षा विद् भी मानते हैं कि कड़े कानून की जरूरत है. हालांकि सत्ता पक्ष का कहना है कि कानून में मौजूद प्रावधान के तहत हर मामले में सख्ती से कार्रवाई हो रही है.
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पेपर लीक पर क्या बोले शिक्षा विद्?:बिहार में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले शिक्षा विद गुरु रहमान के मुताबिक सिपाही की भर्ती परीक्षा में अमीरों के बच्चे नहीं, बल्कि गरीब और मजदूरों के बच्चे परीक्षा देने बैठते हैं. ऐसे में जब परीक्षा का क्वेश्चन पेपर लीक हो जाता है तो गरीब मासूम बच्चों के मन में बहुत पीड़ा उत्पन्न होती है और उनका सिस्टम से भरोसा उठता है. बिहार में अब तक जितने भी पेपर लीक मामले में कार्रवाई हुई है, उसमें सिर्फ छोटी मछली पकड़े गए हैं और बड़ा मगरमच्छ अभी भी पकड़ में नहीं आया है.
"हर बार पेपर लीक मामले में छोटे-मोटे सॉल्वर पकड़े जाते हैं लेकिन बड़ा माफिया पकड़ से बाहर रहता है. मेरी राज्य सरकार से मांग है कि गुजरात की तर्ज पर बिहार में भी शिक्षा माफियाओं पर नकेल कसने के लिए कोई कठोर कानून विधानसभा से पास करें, ताकि कोई भी शिक्षा माफिया मासूम मेधावी बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने की सोच ना सके"- गुरु रहमान, शिक्षा विद
'शिक्षा माफियाओं को 10 साल की सजा हो':वहीं, छात्रों और युवाओं के हर मुद्दे पर प्रमुखता से आवाज उठाने वाले छात्र एकता मंच के अध्यक्ष और छात्र नेता दिलीप ने कहा कि आए दिन बिहार में प्रतियोगी परीक्षाओं के क्वेश्चन पेपर लीक हो रहे हैं. कुछ की परीक्षाएं रद्द हो रही है तो कुछ पर अभी भी जांच चल रही है. इससे बेरोजगार नौजवानों का आर्थिक और मानसिक शोषण हो रहा है. सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और कड़े कानून बनाने चाहिए.
"मेरी सरकार से मांग है कि शिक्षा माफियाओं पर नकल करने के लिए कठोर कानून बनाएं. जिसमें शिक्षा माफियाओं को न्यूनतम 10 साल की सजा हो. यदि कोई सरकारी कर्मचारी और अधिकारी इसमें संलिप्त पाए जाते हैं तो उन्हें अभिलंब सेवा से बर्खास्त कर उनकी संपत्ति अटैच की जाए. अभी के समय जो शिक्षा माफिया हैं, वह पकड़े जाते हैं और 6 से 7 महीने जेल में रहकर छूट जाते हैं. फिर दोबारा इस काम में संलिप्त हो जाते हैं"- दिलीप कुमार, अध्यक्ष, छात्र एकता मंच
कब-कब हुई बिहार में परीक्षा रद्द?: इससे पहले 8 मई 2022 को बीपीएससी 67वीं की प्रीलिम्स परीक्षा में प्रश्न पत्र लीक होने के बाद परीक्षा रद्द कर दी गई थी. दोबारा परीक्षा आयोजित. इसमें कई प्रशासनिक अधिकारी भी संलिप्त पाए गए थे, जिन पर कानूनी कार्रवाई हुई थी. वहीं, 23 दिसंबर 2022 को बीएसएससी सीजीएल 3 की परीक्षा में प्रश्न पत्र वायरल होने के बाद परीक्षा रद्द करते हुए दोबारा से परीक्षा आयोजित हुई थी. इस मामले में कई लोग पकड़े भी गए. 23 मार्च 2023 को बीसीईसीई ने फूड कॉरपोरेशन की परीक्षा आयोजित की थी. परीक्षा के दौरान पटना के एक ऑनलाइन परीक्षा केंद्र पर क्वेश्चन लीक हुआ था. अमीन के लिए अगस्त के महीने में आयोजित परीक्षा के दौरान पटना के एक परीक्षा केंद्र से क्वेश्चन पेपर लीक हो गया था. इसके अलावे 4 सितंबर से 15 सितंबर के बीच बीएसईबी ने STET परीक्षा का आयोजन किया. शुरुआत के समय में ही मुजफ्फरपुर के कुछ परीक्षा केंद्रों पर धांधली के बाद परीक्षा रद्द कर दी गई थी.
बिहार में पेपर लीक करने पर सजा?: बिहार में किसी भी परीक्षा के दौरान पेपर लीक करने पर सख्त सजा का प्रावधान है. बिहार लोक सेवा आयोग की 67वीं प्रारंभिक परीक्षा पेपर लीक मामले में कई धाराओं में मुकदमे दर्ज हुए थे. आईपीसी की धारा 420/467/468/120(b) और आईटी एक्ट की धारा 66 और बिहार परीक्षा नियंत्रण अधिनियम 1981 की धारा 3/10 के तहत भी प्राथमिकी दर्ज की गई थी.