न्यूयॉर्क :संयुक्त राष्ट्र ने इस साल अपने 75 वर्ष पूरे किए हैं और उसने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया के सबसे बड़े संकट का सामना किया है. कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए वैश्विक कार्रवाई को दिशा दी, जिसमें भारत ने भी आगे रहकर मोर्चा संभाला तथा 150 से अधिक देशों को मदद पहुंचाई.
इस साल की शुरुआत में कोविड-19 के प्रकोप को नियंत्रित करने के मकसद से दुनिया के विभिन्न देशों ने अपनी सीमाएं और कारोबार बंद करना शुरू कर दिया था. ऐसे समय में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि महामारी 'पांचवां बड़ा खतरा' है, जिसने चार अन्य खतरों को और बढ़ाया है. इनमें बीते कुछ सालों में सर्वाधिक वैश्विक भू-रणनीतिक तनाव, अस्तित्व को खतरे में डालने वाला जलवायु संकट, गहन होता वैश्विक परस्पर अविश्वास तथा डिजिटल दुनिया का स्याह पक्ष है.
गुतारेस ने कोविड-19 महामारी को 'हमारी सदी का सबसे बड़ा संकट' करार दिया, जिसने दुनिया को स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था के गहरे संकट में डाल दिया. उन्होंने कहा कि इस तरह का संकट एक सदी में नहीं देखा गया.
उन्होंने कहा कि हम महामंदी के बाद एक साथ ऐतिहासिक स्वास्थ्य संकट, सबसे बड़ी आर्थिक आपदा और नौकरियां जाने के इस तरह के खतरे से जूझ रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि महामारी ने दशकों की प्रगति खत्म कर दी.
संयुक्त राष्ट्र ने महामारी से लड़ने के लिए वैश्विक कार्रवाई की दिशा में काम किया.
दुनिया के सामने इस अभूतपूर्व संकट के समय भारत ने भी आगे रहकर मोर्चा संभाला और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर में महासभा के अब तक के पहले डिजिटल उच्चस्तरीय सत्र में अपने संबोधन में वैश्विक समुदाय को आश्वासन दिया कि दुनिया के सबसे बड़े टीका निर्माता देश के नाते भारत की टीका उत्पादन और आपूर्ति क्षमता का इस्तेमाल इस संकट से लड़ने में समस्त मानव जाति की मदद के लिए किया जाएगा.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी.एस. तिरुमूर्ति ने कहा, 'कोविड-19 संकट के दौरान स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए भारत ने समय रहते दुनिया भर के देशों से संपर्क साधा और 150 से अधिक देशों की सहायता की. हम असंख्य तरीकों से लगातार ऐसा कर रहे हैं.'
भारत दुनियाभर के टीकों का 60 प्रतिशत उत्पादन करता है. 'दुनिया की फार्मेसी' की पहचान रखने वाला यह देश अनेक कोविड-19 टीकों के विकास की प्रक्रिया के साथ युद्धस्तर पर महामारी से निपटने की तैयारी में है.
कोरोना टीका निर्माण में भारत अग्रणी
भारत में 'कोवैक्सीन' और 'जाइकोव-डी' का दूसरे और तीसरे चरण का परीक्षण चल रहा है, वहीं टीका निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के टीके 'कोविशील्ड' का अंतिम परीक्षण कर रही है.
महामारी के शुरुआती महीनों में भारत ने अमेरिका समेत अनेक देशों को मलेरिया रोधी दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की आपूर्ति की, जिसे उस समय कोविड-19 के संभावित उपचार के रूप में देखा गया. भारत ने एक करोड़ डॉलर के प्रारंभिक अंशदान के साथ दक्षेस कोविड-19 आपातकालीन कोष को सक्रिय किया.
भारत ने महामारी से दुनिया की लड़ाई में संयुक्त राष्ट्र की प्रभावी कार्रवाई के संबंध में सवाल भी उठाए. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रियाओं, प्रक्रियाओं और उसके स्वरूप में सुधार समय की जरूरत है. उन्होंने प्रश्न किया कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और 1.3 अरब आबादी वाले भारत देश को और कितने समय तक संयुक्त राष्ट्र के निर्णय लेने वाले ढांचे से दूर रखा जाएगा.