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यादव वोट बैंक का 'तिलिस्म', ऐसे तोड़ेंगे बीजेपी-जेडीयू और आरजेडी

बिहार के चुनाव में जाति एक बड़ा मुद्दा होता है. 2015 के चुनाव में विधानसभा पहुंचने वाले विधायकों की संख्या 61 है. यही वजह है कि इस बार भी सभी पार्टियों ने यादव उम्मीदवारों पर दांव लगाया है.

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Published : Oct 13, 2020, 6:13 PM IST

bihar elections
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पटना : बिहार विधानसभा चुनाव में यादव वोट बैंक को लेकर असली संग्राम शुरू हो गया है. जेडीयू, आरजेडी और बीजेपी ने टिकट बंटवारे में यादवों पर जमकर दांव खेला है. जेडीयू ने इस बार के चुनाव में 19 यादव प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं. वहीं बीजेपी ने तीन सीटों पर यादव प्रत्याशियों पर दांव खेला है.

आरजेडी ने पहले चरण की 41 सीटों के लिए सबसे ज्यादा भरोसा यादवों पर दिखाया है. उन्होंने भी 19 यादवों को उम्मीदवार बनाया है. यानी कि प्रदेश की तीन प्रमुख पार्टियों ने पहले चरण की 71 सीटों में 41 सीटों पर यादव जाति के उम्मीदवार पर ही दांव लगाया है.

2015 विधानसभा चुनाव में यादवों का दबदबा

दरअसल, 2015 विधानसभा चुनाव में यादव जाति का विधानसभा में दबदबा रहा है. 2015 में 61 यादव विधायक जीत कर विधानसभा पहुंचे. इन आंकड़ों से साफ हो जाता है कि विधानसभा का हर चौथा विधायक यादव है. यही कारण है कि इस बार सभी प्रमुख पार्टियों ने सबसे अधिक यादवों पर दांव खेला है.

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2015 में जीते 61 यादव उम्मीदवार

साल 2015 विधानसभा चुनाव में 243 सदस्यीय विधानसभा में यादव 61, राजपूत 19, कोयरी 19, भूमिहार 17, कुर्मी 16, वैश्य 16, ब्राह्मण 10, कायस्थ 3, अनसूचित जाति 38, जनजाति 2, और मुस्लिम 24 विधायक जीतकर आए थे. अगर इस आंकड़े के लिहाज से भी देखा जाए तो यादव जाति के ही लोग सबसे अधिक विधायक बने थे. उसमें से आरजेडी कोटे से 42, जेडीयू के 11, कांग्रेस के 2 और बजेपी के 6 विधायक थे.

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