ईटानगर : अरुणाचल प्रदेश से ताइवान जाने के रास्ते में लगभग 12,000 फीट की ऊंचाई पर बना जोगिंदर युद्ध स्मारक भारत और चीन के बीच 1962 में हुए युद्ध में शहीद हुए परमवीर चक्र विजेता सूबेदार जोगिंदर सिंह रावत के शौर्य और बलिदान की गाथा बयां करता है. यह युद्ध स्मारक अरुणाचल प्रदेश के बूम ला में निर्माण किया गया है.
17 नवम्बर 1962 इसी दिन नूरानांग में भारतीय सेना और चीनी सैनिकों के बीच लड़ाई शुरू हुई और तब तक परमवीर चक्र विजेता जोगिंदर सिंह सैनिक वीरगति को प्राप्त हो चुके थे.
शहीद जोगिंदर की शौर्यगाथा जोगिंदर सिंह की बेटी कुलवंत कौर ने युद्ध स्मारक का उद्घाटन किया. अरुणाचल प्रदेश के सीएम पेमा खांडू और कई राजनीतिक नेता जिनमें अलुबांग, अरुणाचल प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री तागे ताकी, अरुणाचल प्रदेश के कृषि मंत्री जोम्बे ताशी, विधायक लुम ला फुर्पा शामिल थे. विधायक दिरांग तर्शिंग ताशी, विधायक तवांग आरपी उपाध्याय, डीजीपी अरुणाचल प्रदेश मेजर जनरल एससी मोहंती, अरुणाचल प्रदेश सरकार के सुरक्षा सलाहकार, फायर डिवीजन के जीओसी बॉल और कमांडर तवांग ब्रिगेड उपस्थित थे.
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अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा है कि मौजूदा हालात 1962 से अलग हैं और भले ही चीन इस क्षेत्र पर चाहे जितनी भी बार अपना दावा जताता रहे, राज्य की जनता तथा भारतीय सेना पीछे नहीं हटने वाली. खांडू ने 1962 के भारत-चीन युद्ध में शहीद हुए सैनिक सूबेदार जोगिन्द्र सिंह के सम्मान में अरुणाचल प्रदेश में भारत-तिब्बत सीमा पर स्थित एक दर्रे बूम ला में शुक्रवार को आयोजित एक कार्यक्रम में यह बात कही. उन्होंने कहा यह 1962 नहीं, 2020 है. समय अब बदल चुका है. जम्मू-कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक, हम पूरी तरह तैयार हैं. जरूरत पड़ी तो अरुणाचल प्रदेश के लोग भारतीय सेना के साथ खड़े होने के लिए भी तैयार हैं. चीन अरुणाचल प्रदेश को भारतीय राज्य के रूप में मान्यता नहीं देता है और इसे दक्षिण तिब्बत का हिस्सा बताता है. भारत चीन के इस दावे को हमेशा खारिज करता रहा है.