वाराणसी :बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी को सर्व विद्या की राजधानी कहा जाता है. यहां के विद्वानों ने पूरे विश्व को एक अलग तेज प्रदान किया है. काशी की परंपरा को आगे बढ़ा रहे यह विश्व विख्यात ब्राह्मणों की आर्थिक स्थिति कोरोना लॉकडाउन के दौरान मुश्किल में चली गई है. इन दिनों काशी के ब्राह्मण बेहद ही दयनीय स्थिति में है. लॉकडाउन के कारण उनको एक वक्त का खाना मिल रहा है तो दूसरे वक्त के लिए उन्हें सोचना पड़ रहा है. ब्राह्मणों का कहना है कि हमारा दर्द सुनने वाला कोई नहीं है.
दरअसल, कोरोना महामारी के कारण सभी धार्मिक आयोजन बंद हैं. सरकार ने कोरोना गाइडलाइन का पालने के साथ मठ मंदिरों को खोलने के आदेश तो दे दिए हैं, लेकिन कोरोना महामारी के खौफ से उबरने में लोगों को समय लगेगा. यही वजह है कि मंदिर खुले होने के बाद भी भक्तों की भीड़ कम देखने को मिल रही है.
ऐसी स्थिति में लोग घरों में पूजा पाठ कराने से भी बच रहे हैं. सबसे बुरी हालत काशी के उन गरीब ब्राह्मणों की है, जिनका गुजारा ही जजमान के घरों में पूजा पाठ कराकर चलता था. कोरोना के कारण सभी ब्राह्मण आर्थिक परेशानी का सामना कर रहे हैं.
भूखे रहने को मजबूर ब्राह्मण
ब्राह्मणों का कहना है कि जैसे-तैसे हम गुजारा कर रहे हैं. एक वक्त भोजन कर रहे हैं तो एक वक्त भूखे रहने को मजबूर है, क्योंकि हमारे सारे सीजन खत्म हो गए. अब हमारे पास आमदनी का कोई भी जरिया नहीं बचा है. यानी लॉकडाउन के वजह से मंदिर में पूजा-पाठ के कार्यक्रम नहीं कराए गए और अभी भी यह कार्यक्रम नहीं चल रहा है. इक्का-दुक्का जप पूजा अनुष्ठान मिल रही है, जिससे जैसे-तैसे गुजारा कर रहे हैं.
सुनाया अपना दर्द
पंडित विमलेश ने कहा कि हमारे दर्द को कोई सुनने वाला नहीं है. चुनाव में भी सबकी बात की जाती है, लेकिन हमारे लिए कोई सोचने वाला नहीं है. जो ब्राह्मण अपनी पूरी जिंदगी कर्मकांड में लगा देता हैं. वह बुढ़ापा कैसे बिताएंगे यह उन्हें खुद को भी नहीं पता होता. किसी ने हमारे लिए ना सोचा न हीं कोई योजना बनाई है.
ब्राह्मणों की आमदनी के सारे सीजन हो गए खत्म