नई दिल्ली : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 151वीं जयंती के मौके पर शक्रुवार को उनके पसंदीदा भजन 'वैष्णव जन तो' को कश्मीरी भाषा में जारी किया गया. इस भजन को जारी करने का उद्देश्य कश्मीर में शांति के संदेश का प्रसार करना है.
600 साल पहले हुई थी इस गीत की रचना
इस भजन की रचना 15वीं शताब्दी के गुजराती कवि संत नरसिंह मेहता ने करीब 600 साल पहले की थी. यह भजन मानवता, सहानुभूति और सत्यता जैसे मूल्यों का संदेश देता है, जिनका गांधीजी ने जीवनभर निष्ठापूर्वक पालन किया. यही वजह है कि कश्मीरी गायक गुलजार अहमद गनेई और लेखक शहबाज हकबारी के साथ मिलकर कुसुम कौल व्यास ने गांधीजी की 151वीं जयंती के अवसर इसे जारी करने का मन बनाया.
राज्य में आसानी से पहुंचेगा शांति का संदेश
उन्होंने कहा कि 'वैष्णव जन तो' मूल रूप से गुजराती गीत है और इसलिए कई लोग इसका वास्तविक अर्थ समझ नहीं पाते. मैंने सोचा कि अगर इसका कश्मीरी भाषा में अनुवाद किया जाए तो शायद राज्य के लोगों तक शांति और सौहार्द का यह संदेश आसानी से पहुंच पाएगा.