मुंबई : भारत में कोरोना महामारी के कारण मुंबई सबसे अधिक प्रभावित हुआ है. वायरस के प्रसार से बचने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण एक ओर जहां आर्थिक चोट लगी है, तो दूसरी ओर बच्चों की शिक्षा भी प्रभावित हुई है. आलम यह है कि सरकारी उदासीनता के कारण ऑनलाइन क्लास जैसे विकल्प भी 'हाथी के दांत' जैसे लगते हैं. मुंबई के एक उर्दू भाषा में पढ़ने वाले बच्चों के लिए भी ऑनलाइन क्लास किसी सपने की तरह है. गरीबी के कारण कई लोगों के पास मोबाइल, लैपटॉप या स्मार्टफोन जैसी चीजों का अभाव है. इस कारण बच्चों की शिक्षा प्रभावित हुई है.
दरअसल, दक्षिणी मुंबई के इमामबाड़ा इलाके में कई बच्चे और उनके अभिभावक ऑनलाइन शिक्षा का खर्च उठाने में असमर्थ हैं. हालांकि, लेकिन कुछ लोगों ने अपने व्यक्तिगत खर्चे से इन बच्चों की शिक्षा के लिए एक नया रास्ता खोज लिया है.
इन लोगों की कोशिशों से इस क्षेत्र की तंग गलियों, संकरे रास्ते और झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले छात्रों के लिए उम्मीद की एक नई किरण उभरने लगी है, जिनका भविष्य पर लॉकडाउन का ग्रहण लग चुका था.
एक शिक्षिका सैयद शाहना इकबाल कहती हैं कि उर्दू यूनियन ने महसूस किया है कि उर्दू माध्यम के 50 फीसदी बच्चे शिक्षा से वंचित हैं. इसलिए हम सभी ने मिलकर इन बच्चों की शिक्षा का प्रबंधन किया है.