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सोनोवाल सरकार के फैसले पर स्वास्थ्य मंत्रालय का टिप्पणी से इनकार

असम सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में सोमवार को एक विधेयक पारित किया, जिसके तहत अगले वर्ष से दो से अधिक बच्चे पैदा करने वालों को राज्य में सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी. असम सरकार के इस फैसले पर स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. जानें क्या है पूरा मामला...

डॉ. हर्षवर्धन प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान

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Published : Oct 23, 2019, 9:25 PM IST

Updated : Oct 23, 2019, 11:29 PM IST

नई दिल्ली : असम में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में सोमवार को बड़ा कदम उठाया था. सर्वानंद सोनोवाल सरकार ने फैसला किया था कि 1 जनवरी 2021 से उन व्यक्तियों को सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी, जिनके दो से ज्यादा बच्चे होंगे. अब असम सरकार के इस फैसले पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है.

वस्तुतः स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की थी. इस मौके पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन भी मौजूद रहे. लेकिन किसी ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की.

जनसंख्या नियंत्रण को लेकर असम सरकार के फैसले पर स्वास्थ्य मंत्रालय का टिप्पणी से इनकार.

हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने ईटीवी भारत से बातचीत में इस फैसले का समर्थन अवश्य किया और कहा कि असम सरकार के इस कदम से अन्य राज्य भी प्रवाभित होकर ऐसा ही निर्णय ले सकते हैं.

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि इस तरह के फैसले से सरकार को जनसंख्या विस्फोट पर अंकुश लगाने में मदद मिल सकती है.

गौरतलब है कि असम सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण करने के लिए 2017 में एक मसोदा तैयार किया गया था. 2011 की जनगणना के मुताबिक असम की जनसंख्या 31,169,272 थी और पिछले 10 वर्षों में इसमें 16.93 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी.

फिलहाल दो बच्चों के नार्म पर असम सरकार के फैसले से विभिन्न वर्गों की कड़ी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं और फिर असम सरकार का यह फैसला भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता का उल्लंघन भी है.

गौरतलब है कि 1994 में जनसंख्या और विकास अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया था . इस सम्मेलन में भारत भी शामिल हुआ था और तब उसने कहा था, 'हम अपने नागरिकों को यह अधिकार देते है कि वे बच्चों की संख्या स्वतंत्र रूप से तय कर सकते हैं और अपने बच्चों के जन्म में बीच अंतर भी तय कर सकते हैं.'

आपकों बता दें कि असम की तरह कुछ और प्रदेश हैं, जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण करने के लिए ऐसे कानून बनाये हैं. ऐसे राज्यों में महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना शामिल हैं.

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गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस साल 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से जनसंख्या विस्फोट के मुद्दे को उठाया था. उन्होंने छोटा परिवार रखने वाले लोगों की तारीफ करते हुए कहा कि यह भी देशभक्ति है. प्रधानमंत्री ने बढ़ती जनसंख्या पर चिंता जताते हुए कहा था कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए नई चुनौतियां पेश करता है. इससे निबटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को कदम उठाने चाहिए.

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पीएम मोदी ने तब कहा था, 'हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए जनसंख्या विस्फोट कई समस्याओं का कारण बनेगा, लेकिन जनता की एक सतर्क श्रेणी ऐसी भी है, जो एक बच्चे को दुनिया में लाने से पहले यह सोचते हैं कि वह उस बच्चे के साथ न्याय कर पाएंगे या नहीं, वह जो कुछ भी चाहता/चाहती है, उसे वह सब कुछ दे पाएंगे या नहीं. उनका परिवार छोटा है और वह इसके माध्यम से अपनी देशभक्ति जाहिर करते हैं. हमें उनसे सीखना चाहिए. सामाजिक जागरूकता की आवश्यकता है.

Last Updated : Oct 23, 2019, 11:29 PM IST

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