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बाबरी विध्वंस केस पर उमा भारती ने कहा, कोर्ट का हर फैसला मंजूर - बाबरी विध्वंस मामले में 30 सितंबर सुनाएगी फैसला

अयोध्या में बाबरी विध्वंस केस में सीबीआई की विशेष अदालत 30 सितंबर को अपना फैसला सुनाएगी. मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती भी इस मामले में आरोपी हैं. उमा भारती आज होशंगाबाद पहुंचीं. जहां ईटीवी भारत ने उनसे विशेष बातचीत करते हुए आने वाले फैसल पर उनकी राय जानी.

उमा भारती
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Published : Sep 17, 2020, 2:22 PM IST

होशंगाबादः30 सितंबर को अयोध्या में बाबरी विध्वंस केस पर सीबीआई की विशेष अदालत अपना फैसला सुनाने वाली है. जिस पर देशभर की निगाहे टिकी हैं. इस मामले में मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती सहित 35 लोगों आरोपी बनाया गया है. उमा भारती अमावस्या के मौके पर होशंगाबाद पहुंची. इस दौरान ईटीवी भारत ने उमा भारती से खास बातचीत करते हुए बाबरी विध्वंस केस पर बतचीत की. जिस पर उमा भारती ने कहा कि, उन्हें कोर्ट का हर फैसला मंजूर हैं.

कोर्ट ईश्वर का घर माना जाता है

उमा भारती ने कहा कि, बाबरी विध्वंस मामले में कोर्ट जो भी फैसला देगी हम सभी उसका सम्मान करेंगे. क्योंकि वो कोर्ट को भगवान का घर मानती हैं. हमने कोर्ट में कुछ भी झूठ नहीं बोला. हमारे वकीलों द्वारा सभी दस्तावेज कोर्ट में रखे गए हैं. इसलिए कोर्ट में जो भी फैसला आएगा, उसे भगवान का फैसला मानकर हम सभी स्वीकार करेंगे.

उमा भारती

राम मंदिर निर्माण पर नहीं पडे़गा फैसले का असर

उमा भारती ने कहा कि, बाबरी विध्वंस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत जो भी फैसला सुनाएगी. उसका राम मंदिर निर्माण पर कोई भी असर नहीं पड़ेगा. क्योंकि देश के सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर पर पहले ही फैसला सुना दिया है. जिस दिन सुप्रीम कोर्ट ने यह स्वीकार किया था. यह जगह रामजन्म भूमि है. हमारा जीवन उसी दिन धन्य हो गया था. इसलिए अब हमे कोई चिंता नहीं. अब तो राम मंदिर का निर्माण भी शुरु हो चुका है. इसलिए इस फैसले से राम मंदिर के मुद्दे का कोई लेना- देना नहीं हैं.

उपचुनाव में होगी बीजेपी की जीत

मध्यप्रदेश में होने वाले उपचुनाव पर उमा भारती ने कहा कि, बीजेपी सभी सीटों को जीतेगी. कई सीटों पर तो कांग्रेस की जमानत जब्त हो जाएगी. वही सांची में सीएम शिवराज की सभा में हुए विरोध प्रदर्शन पर उन्होंने कहा कि, वहां विरोध प्रदर्शन नहीं हो रहा था. जो लोग नारे लगा रहे थे, वे सीएम को ज्ञापन सौंपना चाहते थे. इसलिए वे चिल्ला रहे थे. बाद में उन्हें समझा दिया गया था. इसलिए इसे विरोध नहीं कहा जा सकता है.

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