दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

पैसे नहीं थे तो पुलिस को अपनी परेशानी बताने के लिए 40 किमी पैदल चला आदिवासी

50 साल के बुटू राम के बुजुर्ग की पत्नी 5 साल पहले किसी और के साथ चली गई थी. दो साल से बुटू राम अकेले जिंदगी काट रहा है. पैसे न होने की वजह से बुटू राम पुलिस को अपनी परेशानी बताने के लिए 40 किमी पैदल चला. जानें क्या है पूरा मामला...

पुलिस को अपनी शिकायत बताने 40 किमी पैदल चला आदिवासी, ईटीवी भारत से बातचीत में बताया दर्द, देखें वीडियो

By

Published : Jul 17, 2019, 10:24 PM IST

रायपुरःछत्तीसगढ़ सरकार के राज में पहाड़ी कोरवा जैसी संरक्षित जनजाति का शख्स अपनी परेशानी प्रशासन को बताने के लिए पैदल चलकर आया. 50 साल के इस बुजुर्ग का नाम बूटू राम है. दो दिन तक लगातार चलने के बाद बूटू राम ने 40 किलोमीटर का सफर पूरा किया और एसपी ऑफिस पहुंचा.

पुलिस को अपनी शिकायत बताने 40 किमी पैदल चला आदिवासी, ईटीवी भारत से बातचीत में बताया दर्द, देखें वीडियो

गौरतलब है कि 50 साल का बूटू राम अपनी पारिवारिक समस्या की शिकायत करने पुलिस अधीक्षक मुख्यालय पहुंचा था. बूटू राम ने जब बताया कि वो 40 किमी पैदल सफर करके शिकायत करने पहुंचा है तो पुलिस मुख्यालय में मौजूद सभी सन्न रह गए. उसने बताया कि एक शाम पहले उसने चलना शुरू किया और अगले दिन दोपहर को पहुंचा है. बूटू राम ने बताया कि वह करमझरिया से आया है.

पुलिस से की पत्नी की शिकायत
बूटू राम ने बताया कि पांच साल पहले उसकी पत्नी किसी और के साथ चली गई है. दो साल पहले जब वो अपने घर नहीं था तो बच्चों को भी साथ ले गई. दो साल से वो अकेले जिंदगी काट रहा है. उसने DSP से गुहार लगाई है कि उसके बच्चे उसे वापस मिल जाएं. डीएसपी ने बताया कि पैसे न होने की वजह से वो 40 किलोमीटर पैदल चलकर यहां पहुंचा है.

पढ़ेंः असम: संरक्षित आदिवासी बेल्ट में गैर आदिवासियों की सुरक्षा की मांग, जानें

पुलिस ने बूटू राम को खिलाया खाना
DSP रामगोपाल करियारे ने उसकी गरीबी और लाचारी को देखते हुए उसे सिपाही के जरिए खाना खिलाया और उसे बस से वापस घर जाने के किराए का खर्चा भी दिया.

कहां जाती हैं आदिवासियों के लिए बनी योजनाएं
DSP ने तो मानवता दिखाते हुए आदिवासी बूटू राम की मदद कर दी, लेकिन सवाल यहां यह उठता है कि क्यों आदिवासियों पर हर वर्ष करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं फिर भी इन तक सुविधाएं क्यों नहीं पहुंचती हैं. क्या वजह है कि आज भी बूटू राम जैसे कोरवा आदिवासियों को उपेक्षा की मार झेलनी पड़ रही है. हर वर्ष DMF के जरिए करोड़ों रुपए इनके उत्थान के लिए लगाए जाते हैं फिर ऐसी तस्वीर देखने को क्यों मिलती हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details