राजसमंद : कोरोना महामारी की चपेट में राजस्थान के आधे से ज्यादा जिले हैं. लेकिन प्रदेश का राजसमंद जिला अभी भी इसकी पकड़ से दूर है. जिसकी वजह है कोरोना वॉरियर्स की अथक मेहनत और प्रशासन के साथ ही चिकित्सा विभाग की मुस्तैदी. प्रदेश की गहलोत सरकार ने इस महामारी को देखते हुए जब लॉकडाउन की घोषणा की, तो प्रदेश के कई जिलों में इस महामारी ने अपने पांव पसार लिए थे.
लेकिन राजसमंद जिला प्रशासन ने 20 मार्च को ही जिले में लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी. वहीं, प्रदेश में करोनो संक्रमण के गढ़ के तौर पर उभर भीलवाड़ा से राजसमंद की सीमाएं मिलती हैं और सड़क मार्ग लगते हैं. ऐसे में लॉकडाउन के पहले यहां भीलवाड़ा से हर रोज लोगों का आना-जाना लगा हुआ था. वहीं, जब भीलवाड़ा में कोरोना संकट की दस्तक हुई तो जिला प्रशासन ने सतर्कता बरतते हुए राजसमंद की सीमा को सबसे पहले सील कर दिया.
इसके बाद राजसमंद से लगने वाले अन्य जिलों की सीमाओं को भी सील किया गया. जिला कलेक्टर अरविंद कुमार पोसवाल ने बताया कि कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए जिले में पहले से ही तैयारियां कर ली गई थी. राजसमंद में लॉकडाउन 20 मार्च से ही लागू हो गया था. इसकी पालन कराने के लिए जिला प्रशासन ने सतर्कता पूर्ण लोगों को विश्वास दिलाया कि खाने-पीने की वस्तुओं की कोई कमी नहीं रहेगी, जिसके कारण लोगों की आवाजाही भी कम हुई.
42 हजार लोग होम क्वॉरेंटाइन
जिले में अब तक 11 लाख आठ हजार 410 लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है और कुल 42 हजार लोगों को होम क्वॉरेंटाइन में रखा है. यह वह लोग हैं जो पिछले दिनों में महाराष्ट्र गुजरात अन्य राज्यों से राजसमंद आए हैं. इनमें विदेश से आने वाले लोग भी शामिल है. इन सभी की स्क्रीनिंग की जा चुकी है. कुल 160 लोगों के सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे. जिसमें सभी की रिपोर्ट नेगेटिव आई है.