नई दिल्ली : भारत नौसेना के लिए छह पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण के लिए 55,000 करोड़ रुपये की वृहद परियोजना की निविदा प्रक्रिया अक्टूबर तक शुरू होने वाली है. चीन की नौसेना की बढ़ती ताकत के मद्देनजर यह पनडुब्बियां भारत की सामरिक क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगी. सरकारी सूत्रों ने रविवार को इस बारे में जानकारी दी.
रणनीतिक भागीदारी मॉडल के तहत भारत में इन पनडुब्बियों का निर्माण होगा. इसके तहत घरेलू कंपनियों को देश में अत्याधुनिक सैन्य उपकरण निर्माण के लिए विदेशी रक्षा कंपनियों से करार की अनुमति होगी और आयात पर निर्भरता घटेगी.
सूत्रों ने बताया कि परियोजना के संबंध में आरएफपी (अनुरोध प्रस्ताव) जारी करने के लिए पनडुब्बी की विशिष्टता और अन्य जरूरी मानदंड को लेकर रक्षा मंत्रालय और भारतीय नौसेना की अलग-अलग टीमों द्वारा काम पूरा हो चुका है. उन्होंने बताया कि अक्टूबर तक आरएफपी जारी होगा.
रक्षा मंत्रालय परियोजना के लिए दो भारतीय शिपयार्ड और पांच विदेशी रक्षा कंपनियों के नामों की संक्षिप्त सूची बना चुका है. इसे 'मेक इन इंडिया' के तहत सबसे बड़ा उपक्रम बताया जा रहा है .
अंतिम सूची में शामिल भारतीय कंपनियों में एलएंडटी ग्रुप और सरकारी मझगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) हैं, जबकि चुनिंदा विदेशी कंपनियों में थायसीनक्रूप मरीन सिस्टम (जर्मनी), नवानतिया (स्पेन) और नेवल ग्रुप (फ्रांस) शामिल हैं.