अमरावती: दुनियाभर के ज्यादातर लोगों की सुबह एक प्याली चाय के बिना अधूरी है. चाय के बिना दिन की शुरुआत जैसे अधूरी लगती है. वहीं, आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा स्थित सत्यनारायणपुरम की तंदूरी चाय की अपनी अलग पहचान है.
चाय तो खैर भारत में पॉपुलर है ही, लेकिन एक और आदत है, जो हम भारतीयों में खास पाई जाती है और वो है किसी भी डिश का देसी संस्करण खोज लेना. इसी तरह चाय का भी एक देसी वर्जन भारत के कई हिस्सों में बड़ा पॉपुलर है, जिसे तंदूरी चाय कहते हैं.
तंदूरी चाय की खुशबू और इसका स्वाद इसे दूसरी चाय से अलग बनाता है. अपने स्वाद, खुशबू और गुणवत्ता की बदौलत तंदूरी चाय दुनिया की सर्वश्रेष्ठ चाय की सूची में अपनी जगह बना रही है. तंदूरी चाय प्रेमियों का कहना है कि इसका स्वाद अलग है. मिट्टी के गिलास में चाय पीने का मजा ही अलग है. उनका कहना है कि मिट्टी के बर्तनों का उपयोग पर्यावरण के साथ-साथ शरीर के लिए भी अच्छा होता है. अब तक विजयवाड़ा के लोग प्लास्टिक या कांच के गिलास में चाय पीते थे, लेकिन अब मिट्टी के गिलास में पीने का आनंद ले रहे हैं.
तंदूरी चाय पीते ही कहेंगे वाह क्या बात है स्वादिष्ट के साथ-साथ सेहतमंद भी है तंदूरी चाय
तंदूरी चाय जितनी स्वादिष्ट होती है, उतनी ही सेहतमंद भी होती है. दरअसल, कुल्हड़ मिट्टी से बनते हैं और मिट्टी में बहुत सारे मिनरल्स होते हैं. कुल्हड़ को पकाने के दौरान मिट्टी के बैक्टीरिया और जर्म्स नष्ट हो जाते हैं, लेकिन मिनरल्स बचे रहते हैं. ऐसे में जब आप चाय में तंदूर का तड़का लगाते हैं, तो ये मिनरल्स आपके शरीर में भी पहुंचते हैं और शरीर में कई पोषक तत्वों की कमी को पूरा करते हैं.