नई दिल्ली/अहमदाबाद: भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने या नहीं लड़ने को लेकर अनिश्चितता अभी बरकरार है. सूत्रों की मानें तो पीएम मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह आडवाणी के बेटे जयंत आडवाणी के टिकट देना चाहते हैं. लेकिन फैसला आडवाणी पर ही छोड़ दिया गया है.
मीडिया रिपोर्ट की मानें, तो टिकट की दौड़ में आडवाणी की बेटी प्रतिभा आडवाणी भी हैं. लिहाजा, पार्टी इस पर कोई फैसला नहीं करना चाहती है. भाजपा चाहती है कि आडवाणी भाजपा के सबसे वरिष्ठ नेता हैं, इसलिए यह फैसला उन पर ही छोड़ देना चाहिए, कि वे किसे चाहते हैं.देश के गृह मंत्री एवं उप प्रधानमंत्री के तौर पर सेवाएं दे चुके 91 वर्षीय आडवाणी गांधीनगर सीट से छह बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं.
1984 के लोकसभा चुनाव में केवल दो लोकसभा सीटें जीतने वाली भाजपा के उदय का श्रेय आडवाणी को दिया जाता है. उन्होंने 2014 में नरेंद्र मोदी को पार्टी का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने पर आपत्ति जताई थी, तब से वह हाशिए पर हैं.
यह पूछे जाने पर कि आडवाणी की अधिक उम्र के मद्देनजर क्या वह चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं, उनके निजी सचिव दीपक चोपड़ा ने कहा, ‘‘इस पर अभी फैसला नहीं किया गया है... वह (प्रस्ताव) सामने आने पर निर्णय लेंगे.’’.......
पार्टी सूत्रों ने कहा कि उम्मीदवारों के लिए कोई आयुसीमा तय नहीं है और पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति उम्मीदवारों के नाम तय करते समय इस बात को ध्यान में रखेगी कि उनके जीतने की संभावना कितनी है.
यह पूछे जाने पर कि क्या पार्टी ने आडवाणी से गांधीनगर सीट से चुनाव लड़ने का अनुरोध किया है, चोपड़ा ने कहा, ‘‘अभी तक न तो पार्टी ने उनसे संपर्क किया है और न ही उन्होंने पार्टी से संपर्क किया है.’’
गुजरात भाजपा नेताओं के एक वर्ग का मानना है कि आडवाणी अधिक उम्र होने के कारण चुनाव नहीं लड़ने का फैसला स्वयं ही कर सकते हैं.
आडवाणी ने यहां भाजपा पर्यवेक्षकों के सामने अपनी पारम्परिक गांधीनगर सीट पर अपना दावा पेश करने के लिए कोई अभिवेदन नहीं किया है.
चोपड़ा ने कहा, ‘‘उनके स्तर पर हमें ऐसा करने की आवश्यकता नहीं है.’’