नई दिल्ली :उच्चतम न्यायालय ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर रोक लगाने से फिलहाल इनकार करते हुए स्पष्ट कर दिया कि वह केंद्र की दलीलों को सुने बगैर संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) पर कोई रोक नहीं लगाएगा. साथ ही उसने कहा कि इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को वह वृहद संविधान पीठ के पास भेज सकता है.
प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने सीएए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली 143 याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई की. सीजेआई बोबडे के अलावा पीठ के अन्य दो सदस्य न्यायमूर्ति एस.अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना हैं. दाखिल याचिकाओं में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) और कांग्रेस नेता जयराम रमेश की याचिकाएं भी शामिल हैं.
केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने पीठ को बताया कि 143 याचिकाओं में से करीब 60 की प्रतियां सरकार को दी गई हैं. उन्होंने कहा कि सीएए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली उन याचिकाओं पर जवाब देने के लिए सरकार को समय चाहिए, जो उसे अभी नहीं मिल पाई हैं.
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने उच्चतम न्यायालय से सीएए के क्रियान्वयन पर रोक लगाने और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) की कवायद फिलहाल टाल देने का अनुरोध किया. सिब्बल ने यह भी कहा कि इस मामले पर कोर्ट को फैसला लेना चाहिए कि क्या इसे संविधान पीठ को भेजा जाए.
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि वह इस मामले पर केंद्र को सुने बगैर सीएए पर कोई रोक नहीं लगाएगा. चीफ जस्टिस ने कहा कि पांच जजों की बेंच इस मामले पर सुनवाई करेगी कि स्टे लगाना है या नहीं. उन्होंने कहा कि अब इस मामले पर चार हफ्ते बाद सुनवाई की जाएगी.
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक पीठ बनाने पर भी फैसला किया जाएगा. अब याचिकाओं पर जवाब देने के लिए केंद्र के पास चार हफ्तों का समय है और फिर इसके बाद सुनवाई की जाएगी. कोर्ट ने यह भी कहा कि असम से जुड़ी याचिकाओं पर केंद्र सरकार को दो हफ्तों में जवाब देना होगा.
गौरतलब है कि सीएए में 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा अफगानिस्तान से आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन और पारसी समुदायों के शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 12 दिसंबर 2019 को नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) को मंजूरी दे दी, जिससे उसने कानून की शक्ल ले ली.
इस बीच सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने कहा, 'मैं निश्चित रूप से खुश हूं. मुझे पूरी तरह से विश्वास है कि न्यायालय से न्यायोचित फैसला आएगा. सुप्रीम कोर्ट संविधान के तहत फैसला करेगा. हम याचिकाकर्ता हैं और ऐसा हमने इसलिए किया, क्योंकि लोकतंत्र खतरें में हैं.'
तरुण गोगोई की सीएए याचिका पर प्रतिक्रिया. कांग्रेस नेता देबब्रत साइकिया ने कहा, 'सीएए जब संसद में पारित किया गया था तो उस समय हमारे पास जो आईएलपी की शक्ति थी, उसे हटा दिया गया था. आज यहां पर 143 याचिकाओं पर बात की गई. हमारा मुद्दा अलग है क्योंकि भारत सरकार की तरफ से असम और त्रिपुरा के लिए अलग नियम बनाए गए थे.'
देबब्रत साइकिया से ईटीवी भारत ने की बात. केरल विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष रमेश चेन्नीथला ने कहा कि कोर्ट ने प्रकिया शुरू कर दी है. कोर्ट सरकार को जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए सूचना देगा. इसके बाद मुद्दों पर संवैधानिक पीठ सुनवाई करेगी.
केरल नेता प्रतिपक्ष से ईटीवी भारत ने की बात. ऑल इंडियन मोरन स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष अरुण ज्योत मोरन ने कहा कि निश्चित रूप से कोर्ट ने आज बोला है कि असम और त्रिपुरा के मुद्दे की सुनवाई कोर्ट अलग करेगा. हम इससे खुश है. हालांकि, सरकार ने कोर्ट को अभी तक दस्तावेज नहीं दिया है. इसलिए हम चिन्तित हैं.
अरुण ज्योति ने की ईटीवी भारत से बात. बिंदुवार पढ़ें सीएए पर कोर्ट में हुई सुनवाई :
- अटॉर्नी जनरल ने के.के. वेणुगोपाल ने मुख्य न्यायधीश बोबडे से कहा कि अदालत को कुछ दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए. उन्होंने कहा कि अदालत में आने के लिए किस को इजाजत दी जाए या नहीं, ये कोर्ट को तय करना होगा. उन्होंने यह भी कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट और पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में भी कोर्ट रूम के अंदर आने के लिए नियम बनाए गए हैं.
- कपिल सिब्बल ने कहा कि इस मामले पर कोर्ट को फैसला लेना चाहिए कि क्या इसे संविधान पीठ भेजा जाए.
- चीफ जस्टिस ने इसपर कहा है कि मुझे नहीं लगता है कि कोई भी प्रक्रिया वापस ली जा सकती है. हम ऐसा आदेश लागू कर सकते हैं, जो मौजूदा स्थिति के अनुरूप होगा.
- चीफ जस्टिस ने कहा कि पांच जजों की बेंच इस मामले पर सुनवाई करेगी कि स्टे लगाना है या नहीं. उन्होंने कहा कि अब इस मामले पर चार हफ्ते बाद सुनवाई की जाएगी.
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक पीठ बनाने पर भी फैसला किया जाएगा.
- चीफ जस्टिस बोबड़े ने कहा कि वह नई याचिकाओं पर रोक नहीं लगा सकते हैं.
- याचिकाओं पर जवाब देने के लिए केंद्र को चार हफ्तों का समय है और फिर इसके बाद सुनवाई की जाएगी.
- कोर्ट ने कहा कि असम से जुड़ी याचिकाओं पर केंद्र सरकार को दो हफ्तों में जवाब देना होगा.
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बता दें कि इसी पीठ ने 18 दिसंबर को विभिन्न याचिकाओं पर केंद्र को नोटिस जारी किया था.