नई दिल्ली :उच्चतम न्यायालय ने मानसिक स्वास्थ कानून के समता के अधिकार और भेदभाव नहीं करने संबधी प्रावधानों के कथित उल्लंघन को लेकर दायर याचिका पर मंगलवार को केन्द्र और बीमा नियामक विकास प्राधिकरण को नोटिस जारी किया.
न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन, न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने इस मामले की वीडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से सुनवाई के दौरान यह नोटिस जारी किए. पीठ ने केंद्र और इरडा से याचिका में उठाये गए बिन्दुओं पर जवाब मांगा है.
यह याचिका अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल ने दायर की है. गौरव बंसल ने खुद ही बहस करते हुए पीठ से कहा कि मानसिक स्वास्थ्य कानून, 2017 की धारा 21(4) में प्रावधान है कि बीमा पालिसी में मानसिक रोग शामिल किया जाएगा लेकिन अभी तक इरडा के लाल फीताशाही रवैये की वजह से इस प्रावधान पर अमल नहीं हुआ है.
उन्होंने कहा कि इरडा मानसिक स्वास्थ्य कानून,2017 की धारा 21(4) पर अमल करने के लिए बीमा कंपनियों को नहीं कह रहा है और इस वजह से मानसिक रोग से जूझ रहे व्यक्त्तियों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
बंसल ने कहा कि कानून में स्पष्ट प्रावधान के बावजूद इरडा इस पर तत्काल कार्रवाई करने के प्रति अनिच्छुक है.
बंसल का तर्क है कि इरडा का गठन मुख्य रूप से पालिसी धारकों के हितों की रक्षा करने के लिये हुआ था लेकिन ऐसा लगता है कि वह अपने लक्ष्य से भटक गया है.