नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें सभी राज्यों से कृषि कानूनों को लागू करने की बात कही गई थी. भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ, हिंदू धर्म परिषद द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने केंद्र और राज्यों को किसानों के कृत्यों के लिए पार्टियों और संगठनों द्वारा आंदोलन के खिलाफ सख्त दिशा-निर्देश तैयार करने के लिए निर्देश दिए थे.
मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम, 2020 और किसान उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020 पर हाल ही में बनाए गए किसानों (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौते के खिलाफ आंदोलन चल रहा है.
याचिका में अधिनियमों को लागू करने और फेसबुक, व्हाट्सएप, पोस्टर, किसी भी इलेक्ट्रॉनिक संचार आदि पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी जो या तो समर्थित था या कृत्यों के खिलाफ था अदालत ने आज माना कि याचिकाकर्ता इस तरह से अदालत का रुख नहीं कर सकता है, उसे अदालत के समक्ष एक विशेष मामला लाना होगा.
बता दें कि केंद्र सरकार संसद के बीते मानसून सत्र में किसानों से संबंधित कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा प्रदान करना) विधेयक, 2020, कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 बिल लोकसभा में पास पारित किए थे.
क्या हैं कृषि कानून 2020 ?
कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन सुविधा) विधेयक 2020
नए कृषि कानून के मुताबिक किसान अपनी फसलें अपने मनचाही जगह पर बेच सकते हैं. यहां पर कोई भी दखल अंदाजी नहीं कर सकता है. इसका मतलब यह है कि एग्रीकल्चर मार्केंटिंग प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी (एपीएमसी) के बाहर भी फसलों को बेच- खरीद सकते हैं. साथ ही फसल की ब्रिकी पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. इसके अलावा किसान अपनी फसल ऑनलाईन भी बेच सकेंगें. साथ ही अच्छा दाम मिलेगा.