मुंबई : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की कुर्सी एक बार फिर से खतरे में है, अगर 27 मई तक वह विधान परिषद के लिए मनोनीत नहीं किए जाते तो फिर उनका मुख्यमंत्री बने रहना कठिन होगा और यह फैसला महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को लेना है, लेकिन राज्यपाल और ठाकरे के बीच अच्छे संबंध नहीं है यही वजह है कि उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री का दरवाजा खटखटया है.
क्या भाजपा उद्धव ठाकरे को कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने और भाजपा के साथ छोड़ने की गलती का एहसास कराना चाहती है या फिर भाजपा इस संवैधानिक संकट का फायदा उठाना चाहती है. फिलहाल बातें दोनों ही दबी जुबान में कहीं जा रही हैं, मगर ठाकरे की कुर्सी एक बार फिर से संवैधानिक संकट में फंस गई है.
मुख्यमंत्री बनने के बाद छह महीने के अंदर किसी सदन का सदस्य बनना संवैधानिक नियमों के तहत आता है और लॉकडाउन की वजह से उद्धव ठाकरे फिलहाल किसी भी सदन का सदस्य नहीं बन पाए हैं.
फिलहाल एमएलसी का चुनाव कराना अभी संभव नहीं देख रहा है. ऐसे में ठाकरे ने चुनाव आयोग से भी इस बारे में छूट देने की बात पत्र के माध्यम से लिखी थी, लेकिन सारा दारोमदार राज्यपाल पर ही टिका हुआ है कि वह अपने कोटे से ठाकरे को एमएलसी मनोनीत करते हैं या फिर इस फैसले को लटका देते हैं मगर इतना तो तय है कि कोरोना के संकट के बीच फिलहाल चुनाव कुछ महीने तक मुमकिन नहीं है.
हालांकि जब उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस बाबत बात की तो सूत्रों के मुताबिक नरेंद्र मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वह जल्द हल निकालेंगे, लेकिन पीएम मोदी ने यह भी इशारा किया है कि सरकार और राज्यपाल के भी संवैधानिक सामंजस्य और अच्छे संबंध होने चाहिए, क्योंकि एक चुनी हुई सरकार को लेकर राज्य में सभी निर्णय राज्यपाल के पास ही होते हैं. कहीं ना कहीं यह बात निकल कर आ रही है एक इशारा जरूर है कि इस मामले में केंद्र इस बार खुद अपने दामन बचाकर चल रही है.
बीजेपी पर इसका क्या असर पड़ सकता है या फिर राज्यपाल की तरफ से की जा रही देरी की वजह से क्या उद्धव को पद छोड़ना पड़ सकता है इन बातों को कुछ इस तरह से देखा जा सकता है कि यदि किसी भी परिस्थिति मे उद्धव ठाकरे को पद छोड़ना पड़े तो ऐसी परिस्थिति में सारी सहानुभूति उद्धव ठाकरे के खाते में ही जाएगी और एक बार फिर से भाजपा पर सरकार गिराने की का ठीकरा फूट सकता है क्योंकि बतौर सीएम 27 मई को ही ठाकरे ने छह महीने के कार्यकाल को पूरा कर लिया है.