किन्नौर (हिमाचल प्रदेश) : कोराना वायरस माहमारी के दौर में ऑनलाइन काम करना अब सुविधा नहीं, बल्कि मजबूरी बन चुका है. वर्क फ्रॉम होम के दौर में बच्चों की पढ़ाई भी घर से ही जारी है. तमाम शिक्षण संस्थान डिजिटल माध्यमों से बच्चों को पढ़ाई करवा रहे हैं, लेकिन पहाड़ी राज्य हिमाचल में कई इलाके ऐसे भी हैं जहां इंटरनेट तो बहुत दूर, फोन करने के लिए भी नेटवर्क नहीं मिलता.
हालांकि, ऑनलाइन पढ़ाई में बच्चों को क्लासरुम जैसा माहौल नहीं मिल पा रहा. वहीं, मोबाइल या लैपटॉप स्क्रीन से नोट्स लेने में भी परेशानी होती है. ऐसे ही कुछ हालात हैं हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में. यहां छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए बेसिक सुविधा का ही रोना है. ऐसा इसलिए क्योंकि बिना इंटरनेट ऑनलाइन पढ़ाई करना नामुमकिन है. किन्नौर जिला के सीमांत क्षेत्रों में तो टू जी नेटवर्क मिलना भी मुश्किल है. वहीं जिला मुख्यालय रिकांगपियो में भी इंटरनेट कनेक्टिविटी काफी ज्यादा धीमी है. ऐसे में ऑनलाइन पढ़ाई जिले के छात्रों के लिए बस नाम की है.
जिले के कई छात्र बाहरी राज्यों के शहरों में पढ़ाई करते हैं. जो लॉकडाउन के बाद से अपने अपने घरों में ही हैं. स्कूलों ने ऑनलाइन पढ़ाई शुरू कर दी है, लेकिन इंटरनेट सुविधा ना होने के चलते जिला के कई बच्चे पढ़ाई में पिछड़ रहे हैं. वहीं, स्थानीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का भी यही हाल है. जिले के हजारों छात्रों की पढ़ाई बेसिक इंटरनेट सुविधा ना होने के चलते सही से नहीं हो पा रही, जिससे अभिभावकों को बच्चों के भविष्य की चिंता सताने लगी है.
स्थानीय लोगों के मुताबिक जिला के सीमांत क्षेत्रों कुनो चारंग, रोपा वैली, हांगों चुलिंग और छितकुल समेत कई इलाके ऐसे हैं जहां कॉल करने तक के लिए नेटवर्क नहीं होता. ऐसे इलाकों में ऑनलाइन पढ़ाई हो पाना मुमकिन ही नहीं है. वहीं जिन इलाकों में इंटरनेट की सुविधा है वहां पर भी इंटरनेट कनेक्टिविटी ठीक नहीं है. लोगों के मुताबिक स्कूलों द्वारा स्टडी मैटीरियल दिया तो जा रहा है, लेकिन यहां पर मोबाइल और लैपटॉप में लिंक ही नहीं खुलते. अभिभावकों का कहना है कि स्लो इंटरनेट के चलते बच्चों का सामान्य से बहुत ज्यादा वक्त मोबाइल और लैपटॉप स्क्रीन को देखते हुए गुजरता है, जिससे उनके स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा है.
वहीं, यह स्मार्ट पढ़ाई अभिभावकों की जेबों पर भी भारी पड़ रही है. ऑनलाइन पढ़ाई के लिए मंदी के इस दौर में बच्चों को मोबाइल और लैपटॉप दिलाना सभी अभिभावकों के लिए आसान नहीं है. ऐसे में निर्धन परिवारों से आने वाले बच्चों की पढ़ाई छूट गई है. इन बच्चों के लिए सरकार ने किसी तरह का प्रावधान नहीं किया है.