नई दिल्ली :कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा तीन दिवसीय दिल्ली दौरे पर आए थे. वैसे तो वह प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री से राज्य के लिए अनेक तरह के अनुदान संबंधित बातचीत के लिए आए थे, लेकिन उनका दौरा ऐसे समय में था, जब कर्नाटक में राज्य कैबिनेट के विस्तार और मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है.
कोरोना संकट के लगभग छह महीने बीत जाने के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा का दिल्ली के लिए यह पहला दौरा था. इससे पहले वह मार्च में दिल्ली आए थे, जहां पार्टी के अनेक नेताओं से मुलाकात के बाद उन्होंने खुद यह बात कही थी कि राज्य के कैबिनेट विस्तार पर चर्चा हुई है. मगर पिछले छह महीने में न तो कैबिनेट विस्तार हुआ और न ही कोई बड़े निर्णय लिए गए.
आधिकारिक तौर पर तो येदियुरप्पा ने प्रधानमंत्री से मुलाकात कर कर्नाटक के लिए आपदा कोष से पैसे जारी करने की मांग की. इसके अलावा उन्होंने राज्य के 30 में से 22 जिलों के बाढ़ प्रभावित होने से संबंधित जानकारी भी प्रधानमंत्री को दी और राज्य की सहायता के लिए 8,071 करोड़ रुपये भी मांगे.
इसके अलावा सीएम येदियुरप्पा ने भी एनडीआरएफ के नियमों में भी बदलाव करने की मांग की और प्रधानमंत्री से अपर कृष्णा-2 और अपर भद्रा को नेशनल प्रोजेक्ट घोषित करने की भी मांग की. मगर इन तमाम आधिकारिक एजेंडे के साथ-साथ अगर कहें तो सबसे महत्वपूर्ण एजेंडा सीएम की कुर्सी बचाना और राज्य में कैबिनेट विस्तार पर बातचीत करना था.
येदियुरप्पा का यह दौरा ऐसे समय में था, जब राज्य में इस बात की चर्चा काफी जोर-शोर से चल रही है कि राज्य के मुख्यमंत्री पद पर आरएसएस के एक चहेते चेहरे को बैठाया जा सकता है. बहरहाल येदियुरप्पा पार्टी आलाकमान से मिलकर यह तय कर लेना चाहते थे कि उनकी कुर्सी पर कोई खतरा तो नहीं.
येदियुरप्पा ने प्रधानमंत्री से मिलने के साथ ही कई कैबिनेट मंत्रियों के अलावा भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात कर राज्य के कैबिनेट विस्तार से संबंधित विस्तृत बातचीत की.