जयपुर: हमने आपको मिशन चंद्रयान-2 के पहले, दूसरे और तीसरे भाग में तमाम जानकारियों से रूबरू कराया है. लेकिन आपके लिए यह भी बताना जरूरी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2022 तक मानव को अंतरिक्ष में भेजने की बात कही है.
अधिकतर विशेषज्ञों का कहना है कि इस मिशन से मिलने वाला जियो-स्ट्रैटेजिक फायदा ज्यादा नहीं है, लेकिन भारत का कम खर्च वाला यह मॉडल कमर्शियल उपग्रहों और ऑरबिटिंग डील हासिल कर पाएगा. तो क्या मिशन चंद्रयान-2 के सफल होने के बाद जो सपना प्रधानमंत्री मोदी ने दिखाया था वो पूरा हो पाएगा. इसके लिए चंद्रयान 2 से जुटी ये बड़ी बातें आपको जानना जरूरी है जो इस पूरे मिशन को खास बनाती है.
- अमेरिका ने अपने 15 अपोलो मिशनों पर 25 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च किए हैं, जो आज के मूल्यों के लिहाज़ से लगभग 100 अरब डॉलर होते हैं. इन मिशनों में वे छह मिशन भी शामिल हैं, जिनके जरिये नील आर्मस्ट्रॉन्ग तथा अन्य अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर उतारा गया.
- चीन द्वारा चंद्रमा पर भेजे जाने वाले अपने चैंगे 4 यान पर 8.4 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च किए हैं. इनके अलावा 1960 और 1970 के दशक में चलाए गए चंद्रमा से जुड़े अभियानों पर आज के मूल्यों के लिहाज से 20 अरब डॉलर से ज्यादा खर्च किए.
चंद्रयान 2 का ऑरबिटर, लैंडर और रोवर लगभग पूरी तरह भारत में ही डिजाइन किए गए और बनाए गए हैं, और वह 2.4 टन वजन वाले ऑरबिटर को ले जाने के लिए अपने सबसे ताकतवर रॉकेट लॉन्चर - GSLV Mk 3 - का इस्तेमाल करेगा. ऑरबिटर की मिशन लाइफ लगभग एक साल है. यान में 1.4 टन का लैंडर विक्रम होगा, जो 27-किलोग्राम के रोवर प्रज्ञान को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर दो क्रेटरों के बीच ऊंची सतह पर उतारेगा.
इसरो भविष्य में कुछ और महत्वाकांक्षी प्रॉजेक्ट लॉन्च करने जा रहा है जिनमें से खास हैं मिशन गगनयान, मिशन वीनस, स्पेस स्टेशन बनाना और सूरज पर उपग्रह भेजने की तैयारी.