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अरुणाचल प्रदेश में धूमधाम से मनाया जाता है 'सोलुंग', जानें विशेषता... - अरुणाचल प्रदेश

पूर्वोत्तर के राज्य भारत का एक अभिन्न हिस्सा हैं. इन राज्यों की खूबसूरती देखते ही बनती है. इन सात बहनों में एक राज्य अरुणाचल प्रदेश भी है, जहां तमाम तरह की जनजातियां मिलती हैं. इनमें नोक्टे, खाम्ती, मिक्सिंग, आदि, आका, दफला, निशि प्रसिद्ध हैं. इन जनजातियों में सोलुंग त्योहार काफी धूमधाम से मनाया जाता है. आइये जानते हैं क्या है इस खास त्योहार की विशेषता और किस तरह से इसे मनाती हैं यह जनजातियां...

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धूमधाम से मनाया जाता है 'सोलुंग

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Published : Sep 4, 2020, 1:05 PM IST

ईटानगर : विभिन्न समुदायों, जनजातियों और उनकी संस्कृतियों की एक तस्वीर पूर्वोत्तर के राज्य हैं. सात बहनें कहे जाने वाले इन राज्यों का अभिन्न हिस्सा है, अरुणाचल प्रदेश. जी हां! प्राकृतिक सुंदरता से संपन्न अरुणाचल विभिन्न जनजातियों का घर है. यह राज्य संस्कृति और संपदाओं से संपन्न है.

नोक्टे, खाम्ती, मिक्सिंग, आदि, आका, दफला, निशि सहित कई जनजातियां अरुणाचल प्रदेश के तत्कालीन नेफा और वर्तमान पहाड़ी राज्य में निवास करती हैं. यहां की जनजातियों का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, सोलुंग.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट...

अच्छी फसल के लिए होती है प्रार्थना
यह त्योहार हर साल सितंबर के पहले सप्ताह से 15 तारीख तक मनाया जाता है. इस दौरान समुदाय के लोग अच्छी फसल के लिए भगवान को पूजते हैं.

'अगम पे' कहकर देते हैं बधाई
त्योहार के दौरान कृषि से जुड़े पारंपरिक गीत गाए जाते हैं. त्योहार के दौरान लोग एक-दूसरे को अगम पे कहकर बधाई देते हैं. पूजा तीन चरणों में की जाती है.

पूजा के तीन चरण
प्रार्थना के सबसे पहले चरण को सोपी येकपी कहा जाता है, जिस दौरान लोग दुर्भाग्य से बचने और देवी-देवताओं को खुश करने के लिए जानवरों की बलि देते हैं.

अच्छी फसल के लिए प्रार्थना का दूसरा चरण कृषि के भगवान को चढ़ाया जाता है. इसे बिन्नयट अनुष्ठान के रूप में जाना जाता है.

तीसरे चरण की प्रार्थना मृतकों को समर्पित होती है. इसे- अकोप या टैक्टर कहा जाता है.

हालांकि हर त्योहार की तरह इसमें भी पिछले साल जितनी धूम नहीं दिखाई दी. त्योहार पूर्वी सियांग जिले के पासीघाट में उतने उत्साह के साथ नहीं मनाया गया. अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने इस अवसर पर आदि समुदाय के लोगों को शुभकामनाएं दीं.

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