नई दिल्ली :जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रयासों के परिणामस्वरूप दिल्ली हिंसा मामले में छह और आरोपियों की जमानत याचिकाएं मंजूर हो गई हैं. पिछले दो दिनों में कड़कड़डूमा सत्र न्यायालय ने दिल्ली दंगा मामले में गिरफ्तार किए गए शादाब अहमद, राशिद सैफी, शाह आलम, मोहम्मद आबिद, अरशद कय्यूम और शाह आलम को सशर्त जमानत दी है.
अब तक जमीयत उलमा-ए-हिंद के माध्यम से दायर 16 जमानत याचिकाओं को दिल्ली उच्च न्यायालय और सत्र न्यायालय द्वारा स्वीकार किया जा चुका है.
गौरतलब है कि जमीयत उलमा-ए-हिंद दिल्ली दंगों के आरोप में गिरफ्तार किए गए सैकड़ों मुसलमानों का केस लड़ रहा है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के विशेष निर्देश पर सत्र न्यायालय से लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय तक आरोपियों की रिहाई के लिए कानूनी प्रयास किए जा रहे हैं.
शादाब अहमद, राशिद सैफी, शाह आलम और मोहम्मद आबिद को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने 25,000 रुपये के निजी मुचलके पर जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है.
सरकारी वकील ने जमानत पर अभियुक्तों की रिहाई का विरोध किया और अदालत से कहा कि जमानत पर अभियुक्तों की रिहाई शांति प्रक्रिया को बाधित कर सकती है, लेकिन अदालत ने बचाव पक्ष के वकीलों की दलीलों से सहमति व्यक्त की और अभियुक्त को जमानत दे दी.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के वकील एडवोकेट जहीरूद्दीन बाबर चौहान और उनके सहायक एडवोकेट दिनेश आरोपियों की ओर से पेश हुए. उन्होंने अदालत को बताया कि मामले में पुलिस द्वारा चार आरोप पत्र दायर किए गए थे और उनके खिलाफ कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं था. आरोपियों को इसलिए जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए.
उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 147, 148, 149, 436, 427 और PDPP अधिनियम की धारा 3, 4 के तहत मामला दर्ज किया गया था और आरोपी तीन महीने से अधिक समय से जेल में बंद हैं.