नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस का कहर जारी है. कोरोना संक्रमितों की संख्या 32 लाख के पार पहुंच गई है. विपक्षी पार्टियां लगातार मोदी सरकार पर यह आरोप लगा रही हैं कि सरकार कोरोना के नियोजन में विफल रही है.
देशभर में आज मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) का 16 मांगों के साथ चल रहा छह दिवसीय विरोध प्रदर्शन का समापन हो गया. दिल्ली में भी आज एक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया जाना था, लेकिन पाबंदियों के कारण कोई बड़ा विरोध प्रदर्शन नहीं हो सका.
ईटीवी भारत ने सीपीआईएम के महासचिव सीताराम येचुरी से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने सरकार को आड़े हाथों लिया. येचुरी ने कहा कि कोरोना महामारी से लड़ने की दिशा में सरकार ने पिछले छह महीनों में उचित कदम नहीं उठाए हैं.
उन्होंने कहा कि जिस तरह से अचानक लॉकडाउन की घोषणा करके मोदी सरकार ने दिक्कतें पैदा की और हम सब ने देखा कि कैसे प्रवासी मजदूरों ने दिक्कतों का सामना किया. देश में लगातार बेरोजगारी बढ़ रही है, भूखमरी के हालात पैदा हो रहे हैं. इन सब समस्याओं को दूर करने के लिये सरकार कोई उपाय नहीं कर रही है और इसलिए हम मानते हैं कि सरकार अपनी जिम्मेदारी ठीक तरीके से नहीं निभा रही है.
येचुरी ने कहा कि ऐसी परिस्थिति में हम लगातार मांग कर रहे हैं कि टेस्टिंग की संख्या बढ़ाई जाए. दुनिया में सबसे कम टेस्टिंग हमारे देश में हो रही है, लेकिन कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या सबसे तेजी से बढ़ रही है. इसी तरह लॉकडाउन के बाद करोड़ों लोगों की नौकरियां चली गई हैं और आज उनके सामने आजीविका का संकट है. इस परिस्थिति से निपटने के लिए टैक्स के दायरे से बाहर हर व्यक्ति को ₹7500 प्रतिमाह बतौर बेरोजगारी भत्ता दिया जाना चहिए.
उन्होंने कहा कि देश में करोड़ों टन अनाज एफसीआई के गोदामों में पड़ा है. लोगों को भूखमरी से बचाने के लिए प्रति परिवार 10 किलो अनाज हर महीने अगले छह महीने तक मुफ्त में दिया जाना चाहिए.
इस तरह की कुल 16 मांगें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने सरकार के सामने रखी हैं. सीताराम येचुरी का कहना है कि यह सभी मांगे जनता के लिए जरूरी हैं और देश हित में हैं, लेकिन बार-बार कहने के बावजूद भी सरकार इस पर कोई सुनवाई नहीं कर रही है और इसलिए आज महामारी के हालात में भी उन्हें विरोध प्रदर्शन का रुख अख्तियार करना पड़ रहा है.