जयपुर : राजस्थान में यदि सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमण का प्रभाव है तो वह राजधानी जयपुर में. शहर की कुछ ही कॉलोनियां हैं, जो इस महामारी के संक्रमण से अब तक बची हुई हैं. इन्हीं में से एक है शहर की श्याम नगर कॉलोनी. क्षेत्र में कोरोना वायरस चाहकर भी प्रवेश नहीं कर सकता, क्योंकि यहां के कोरोना कम्युनिटी सोल्जर ने इंतजाम ही ऐसे किए हैं.
अजमेर रोड और न्यू सांगानेर रोड के बीच में स्थित श्याम नगर कॉलोनी को लोग इसे कोरोना कम्युनिटी सोल्जर्स की कॉलोनी कहकर भी पुकारने लगे हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा क्या है इस कॉलोनी में. तो हम आपको ले चलते हैं दो हजार परिवार और करीब दस हजार की आबादी वाले इस श्याम नगर कॉलोनी में. कॉलोनी में रहने वाले परिवारों को इस संक्रमण के काल में बाहर जाकर सामान खरीदने की जहमत नहीं उठानी होती है. क्योंकि इन्हें घर बैठे मिलता है संक्रमण मुक्त सामान.
जयपुर की श्याम नगर कॉलोनी. दरअसल, देश में कोरोना के चलते जब लॉकडाउन लगा उसके दो से तीन दिन बाद ही कॉलोनी विकास समिति अध्यक्ष प्रदीप गुगलिया और अन्य पदाधिकारियों ने इसके लिए खास इंतजाम किए ताकि कॉलोनी में संक्रमण का खतरा ना हो. प्रतिदिन की आवश्यकताओं में शामिल फल, सब्जी और डेयरी से जुड़े उत्पाद और किराने के सामान की आवश्यकता लगभग हर रोज होती है और ये तमाम समान भी लॉकडाउन से मुक्त रखे गए थे.
लेकिन खतरा सामान और इन्हें बेचने वालों से था, ऐसे में तय किया गया की फल सब्जी और डेयरी से जुड़े प्रतिदिन की आवश्यकता वाले सामान लेने के लिए कोई भी कॉलोनी का बंदा बाहर ना जाए. इसके साथ ही जो वेंडर्स इन्हें बेचने के लिए आ रहे हैं उनसे सामान तभी खरीदें, जब वह मोहल्ला विकास समिति द्वारा अधिकृत कर दिया गया हो. कॉलोनी में फल, सब्जी और डायरी से जुड़ा सामान बेचने वाले वेंडर्स तय करने के साथ ही यह भी तय किया गया कि वेंडर्स मोहल्ले में प्रवेश करने के साथ ही पहले यहां बने सामुदायिक केंद्र में आएंगे.
ये है कोरोना कम्युनिटी सोल्जर पार्ट-1. सारी प्रकिया होने के बाद दी जाती है कॉलोनी में एंट्री
सबसे पहले सेनिटाइजर से उसके हाथ साफ कराए जा रहे हैं फिर मशीन के जरिए उसका तापमान लिया जा रहा है. यदि इसमें वह फिट है तो मोहल्ला विकास समिति उस वेंडर्स को हाथ में पहनने के लिए दस्ताने और मुंह पर बांधने के लिए मास्क उपलब्ध करवा रही है. इसके बाद शुरू होती है इनके सामान को सेनिटाइज करने की असली प्रक्रिया. क्योंकि यह सामान ही है, जो मोहल्ले में रहने वाले परिवारों के घर तक पहुंचाना है और वह भी संक्रमण मुक्त.
समिति अध्यक्ष प्रदीप गुगलिया बताते हैं कि इसके लिए बकायदा वेंडर्स के सामान यानी फल, सब्जी और अन्य सामानों को गर्म पानी से डलवाने के बाद गर्म भाप जिसमें नामक या कास्टिंग सोडा मिला है, उसी से सेनिटाइज कराया जाता है. अब सामान सेनिटाइज होने के बाद मोहल्ला विकास समिति संबंधित फल और सब्जी विक्रेता के ठेले में सेनिटाइजर की मशीन भी लगाती है ताकि जो भी कोई व्यक्ति यहां से सामान खरीदें पहले अपने हाथ सेनिटाइज करे और फिर सामान ले.
ये है कोरोना कम्युनिटी सोल्जर पार्ट-2. ठेले पर चस्पा किया जाता है समिति का सार्टिफिकेट
खैर ये तमाम प्रक्रिया के बाद समिति वेंडर्स को इस कॉलोनी में सामान बेचने का सर्टिफिकेट देती है, जो उसे अपने ठेले पर चस्पा करना होता है. इसके साथ ही नगर निगम का लाइसेंस भी चस्पा होता है. मतलब अब ये वेंडर्स श्याम नगर कॉलोनी में अपना सामान बेचने के लिए तैयार है और इनके खरीदार ये सर्टिफिकेट देखने के बाद ही इनसे सामान खरीदेंगे. इस पूरी प्रक्रिया के बाद सामान खरीदने वाले भी संक्रमण से मुक्त रहेंगे और बेचने वाले भी.
केवल फल सब्जी ही नहीं डेयरी से जुड़े उत्पाद के लिए भी यही व्यवस्था है. इसके लिए समिति ने प्राइवेट डेयरी से बात की, जो मॉर्निंग में डेयरी उत्पाद भरकर यहां लाती है. इन्हें सेनिटाइज करने के बाद ही मोहल्ले में रहने वाले लोग इनसे सामान खरीदते हैं. किराने के सामान के लिए भी मोहल्ला विकास समिति ने बिग बाजार सहित कुछ बड़ी कंपनियों से कॉन्टैक्ट कर यही सुविधा उपलब्ध करवा ली है.
ये है कोरोना कम्युनिटी सोल्जर मोहल्ला विकास समितियों को भी इस दिशा में आगे आना चाहिए
बस किराने के सामान के लिए समिति की ओर से यहां रहने वाले परिवारों को आवश्यकता अनुरूप अपने सामान की सूची व्हाट्सएप नंबर पर भेजना होती है. जिसे समिति आगे फॉरवर्ड कर देती है. विकास समिति से जुड़े पदाधिकारी कहते हैं उन्होंने तो अपने क्षेत्रों को कोरोना वायरस आने के लिए तमाम उपाय कर लिए, लेकिन अन्य मोहल्ला विकास समितियों को भी इस दिशा में आगे आना चाहिए. वहीं सरकार को भी प्रत्येक कॉलोनी में इस प्रकार की व्यवस्था करवाने के लिए समितियों की मदद करनी चाहिए.
यहां मिलता है संक्रमण मुक्त खाना. तो आपने भी देखे श्याम नगर विकास समिति में कोरोना संक्रमण से बचने के उपाय. मोहल्ला विकास समिति के पदाधिकारी इस तमाम प्रक्रिया में जो भी खर्चा आता है, उसे आपस में मिलकर वहन करते हैं. इनका कहना है 25 मार्च से लगातार यह व्यवस्था जारी है और इसमें फल, सब्जी, डेयरी और किराने के साथ ही अब प्लंबर, इलेक्ट्रिशियन आदि की सुविधा भी जोड़ दी गई है. मतलब यदि किसी परिवार को अपने घर में इलेक्ट्रिक या प्लंबर से जुड़ा कोई काम करवाना है तो पहले इस सामुदायिक केंद्र में वो आएंगे, उनकी जांच के बाद औजारों के सेनिटाइज करने के बाद ही वह उस परिवार में काम पर जा सकेंगे.