नई दिल्ली : भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर अब केंद्र सरकार सशक्त तरीके से विपक्ष को जवाब देने की तैयारी कर रही है. सरकार अगले महीने 15 अगस्त के बाद कभी भी मॉनसून सत्र बुला सकती है. मॉनसून सत्र में भारत-चीन सीमा विवाद पर संसद में चर्चा करने के लिए सरकार तैयारी कर रही है. इस सत्र में चीन के साथ तनाव के अलावा कोरोना वायरस पर भी विस्तार से चर्चा की तैयारी अंदर खाने की जा रही है.
सूत्रों के मुताबिक, मोदी सरकार संसद के आगामी मॉनसून सत्र में पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में चीन के साथ हुई हिंसक झड़प और विपक्ष के आरोपों का जवाब देने की तैयारी कर रही है. इसकी तैयारी पार्टी के सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों ने अभी से शुरू कर दी है.
चीन के साथ कब-कब भारत सरकार की नीति क्या रही है और नेहरू के समय से वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समय में चीन के फ्रंट पर क्या-क्या बदलाव आए हैं, इन तमाम बातों को लेकर भाजपा सांसदों को तैयार रहने की सलाह दी गई है.
सूत्रों का कहना है कि सरकार गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प से संबंधित सवालों पर ऐसे जवाब तैयार कर रही है, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू व इंदिरा गांधी के समय में चीन के खिलाफ उठाए गए कदम और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में चीन के साथ संबंध की तुलना की गई है.
इतना ही नहीं, इस मुद्दे पर अंदर खाने भाजपा का आईटी सेल अभी से तमाम तथ्यों को सोशल मीडिया पर पोस्ट करना शुरू कर चुका है. पार्टी कांग्रेस नेता राहुल गांधी के 'सरेंडर मोदी' के बयान को लेकर भी अगले सत्र में आक्रामक तरीके से जवाब देने की तैयारी की जा रही है.
राजीव गांधी फाउंडेशन को मिले दान का मुद्दा उठाएगी भाजपा
सरकार के जवाब में कई बातों को शामिल किया जाएगा. इसमें तिब्बत में चीन के सामने सरेंडर का मुद्दा, अक्साई चिन में लगभग 40,000 वर्ग किलोमीटर जमीन चीन को सरेंडर करने का मुद्दा, यूपीए शासनकाल में सैकड़ों वर्ग किलोमीटर जमीन सरेंडर करने का मुद्दा और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ समझौते कर सरेंडर करने के मुद्दे शामिल होंगे. आजादी के बाद से 2014 तक कांग्रेस पार्टी और इसकी सरकारों ने चीन के सामने क्या किया, यह सब सरकार के जवाब में तो होगा ही, साथ ही भाजपा चीन द्वारा राजीव गांधी फाउंडेशन को दिए गए दान मामले को भी जोर-शोर से संसद के पटल पर उठाएगी.