देहरादून : सनातन धर्मावलंबियों के प्रमुख चारधाम में से सर्वश्रेष्ठ और विश्वविख्यात बदरीनाथ धाम की यूं तो धार्मिक और पौराणिक आधार पर कई मान्यातएं हैं, लेकिन बदरीनाथ मंदिर की एक ऐसी अनूठी परंपरा भी है जो सदियों ने चली आ रही है. वह परंपरा बदरीनाथ मंदिर की रखवाली की है.
जी हां, बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि ग्रीष्मकाल में जब छह महीने के लिए भगवान बदरी विशाल के कपाट खोले जाते हैं तो उस दौरान कपाट पर लगे तालों को खोलने के लिए चार अलग-अलग चाबियों की जरूरत होती है. आखिर क्या है इन चार तालों और चाबियों का राज ये आज हम आपको बताते हैं अपनी इस स्पेशल रिपोर्ट में.
उत्तराखंड के उच्च हिमालय क्षेत्र में स्थित बदरीनाथ धाम करोड़ों हिन्दुओं की आस्था का केंद्र है. इसे बदरी नारायण मंदिर भी कहा जाता है. बदरीनाथ देश के चार प्रमुख धामों में से है. यहां भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. बदरीनाथ मंदिर की पूजा पद्धति अन्य मंदिरों से भिन्न है. पूजा-अर्चना करने के तरीके की एक अनूठी परंपरा यहां सदियों से चली आ रही है.
चार तालों का राज
बदरीनाथ मंदिर के कपाटों में चार ताले लगाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है, जो मंदिर की रखवाली के लिए बनाई गई थी. शीतकाल में जब धाम के कपाट बंद किए दिए जाते हैं, उस दौरान मंदिर के कपाटों पर अलग-अलग चार ताले लगाए जाते हैं. इनकी चाबियां भी एक दूसरे से भिन्न होती हैं. जब बदरीनाथ मंदिर के कपाट ग्रीष्मकाल में खोले जाते हैं तो संबंधित प्रतिनिधि बदरीनाथ मंदिर में मौजूद होते हैं और प्रतिनिधियों की मौजूदगी में ही एक-एक करके बदरीनाथ मंदिर के कपाटों पर लगे चारों तालों को खोला जाता है.
मंदिर से जुड़े चार प्रतिनिधियों की उपस्थिति में खोले जाते हैं कपाट
बदरीनाथ मंदिर के कपाट पर लगाए गए चार तालों में पहला ताला टिहरी के महाराजा का होता है. उनकी उपस्थित में ताला खोला जाता है. दूसरा ताला डिमरी समाज का होता है जिनकी मौजूदगी में ये ताला खोला जाता है. तीसरा ताला पांडुकेश्वर हकहकूक धारियों का होता है. जिनके प्रतिनिधि से चाबी लेकर ताला खोला जाता है. इसके साथ ही मंदिर के कपाटों में लगा चौथा ताला अभी तक बदरी-केदार मंदिर समिति के प्रतिनिधि की उपस्थिति में खोला जाता था लेकिन चारधाम देवस्थानम बोर्ड के अस्तित्व में आने के बाद अब चौथे ताले की चाबी चारधाम देवस्थानम बोर्ड के प्रतिनिधि के पास है. ऐसे में इस बार चौथा ताला देवस्थानम बोर्ड के प्रतिनिधि की मौजूदगी में खोला जायेगा.
बदरी-केदार मंदिर समिति हुई भंग