रायपुर : छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले की कुसमुंडा ओपन कास्ट कोल माइंस देश के सबसे बड़े दो कोयला खदानों में से एक है. यहां कोयले का अकूत भंडार है. यहां मार्च से ही भीषण आग लगी हुई है, जो अब तक नहीं बुझी है. इसे लेकर अब कोल माइंस प्रबंधन पर कई सवाल उठने लगे हैं.
दरअसल, कुसमुंडा खदान में लॉकडान के दौरान जब परिवहन बंद था, तो कोल माइंस से कोयला निकाल पास में ही बरपाली डंपिंग यार्ड में स्टॉक किया जा रहा था. इस डंपिंग यार्ड में लाखों टन कोयले को डंप कर रखा गया है. इस डंपिंग यार्ड में मार्च में स्पॉन्टेनियस हीटिंग के कारण आग लग गई थी. जिसे बुझाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन 3 महीने बाद भी इस आग को नहीं बुझाया जा सका है.
जानकारों के मुताबिक, पहली बारिश के बाद कोयले की आग और तेज हो गई है, क्योंकि पानी के संपर्क में आने के कारण जल रहे कोयले को ऑक्सीजन मिल गया है. कुछ जानकारों का कहना है कि आमतौर पर कोयला खदानों में आग लगती रहती है, लेकिन समय के साथ और ऑक्सीजन की कमी से कई बार ये आग खुद ही बुझ जाती है. इस बार आग बुझाने पर भी नहीं बुझ रही है, जिससे अधिकारियों की चिंता बढ़ गई है.
तमाम कोशिशों के बाद भी साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) प्रबंधन कोयले में लगी आग को बुझा नहीं पा रहा है. SECL प्रबंधन के मुताबिक, स्टॉक पर लगातार पानी का छिड़काव किया जा रहा है, लेकिन पानी की मात्रा कम होने के कारण आग बुझने की बजाय और तेज हो रही है.
धुआं से कर्मचारियों को परेशानी
कोयले में लगी आग धीरे-धीरे और बढ़ती ही जा रही है. आसपास के लोग बताते हैं कि मार्च से लगातार डंपिंग यार्ड से 24 घंटे धुआं निकल रहा है. जिससे आसपास के लोगों के साथ इस कोल माइंस में काम करने वाले कर्मचारी भी परेशान हो रहे हैं. कई कर्मचारियों को सांस संबंधी शिकायतें आ भी रही हैं.