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SC ने फारूक अब्दुल्ला की पेशी की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से किया इनकार

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Published : Sep 30, 2019, 1:44 PM IST

Updated : Oct 2, 2019, 2:11 PM IST

उच्चतम न्यायलय ने राज्य सभा सांसद वाइको की याचिका को सुनने से इंनकार कर दिया और कहा कि सांसद जन सुरक्षा कानून के तहत हिरासत के आदेश को चुनौती दे सकते हैं. पढ़ें पूरी खबर...

उच्चतम न्यायलय

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने राज्यसभा सदस्य और एमडीएमके के नेता वाइको की याचिका पर सुनवाई करने से 30 सितबंर को इनकार कर दिया. इस याचिका में जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को कोर्ट के समक्ष पेश करने की मांग की गयी थी.

न्यायालय ने कहा कि मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कझगम (एमडीएमके) के नेता जन सुरक्षा कानून के तहत हिरासत के आदेश को चुनौती दे सकते हैं.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने वाइको के वकील से कहा, 'वह (अब्दुल्ला) जन सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में हैं'.

वाइको के वकील ने जम्मू कश्मीर प्रशासन के आचरण पर सवाल उठाया. उन्होंने दावा किया कि 16 सितंबर को उच्चतम न्यायालय में होने वाली सुनवाई से कुछ मिनटों पहले ही अब्दुल्ला को जम्मू कश्मीर जन सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में ले लिया गया.

बता दें कि इस पीठ में न्यायमूर्ति एस ए बोबड़े और न्यायमूर्ति एस ए नजीर भी शामिल हैं. पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता जम्मू कश्मीर जन सुरक्षा कानून के तहत अब्दुल्ला के खिलाफ हिरासत के आदेश को सक्षम प्राधिकरण के समक्ष चुनौती दे सकता है.

बता दें कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया गया. राज्य का विशेष दर्जा खत्म करने पर प्रदेश की शांति और सुरक्षा को देखते हुए सरकार कुछ नेताओं को हिरासत में लिया है.

क्या है जम्मू कश्मीर जन सुरक्षा कानून

यह कानून सरकार को 16 वर्ष से अधिक उम्र के किसी भी व्यक्ति को मुकदमा चलाए बिना दो साल की अवधि हेतु बंदी बनाने की अनुमति देता है. यदि राज्य सरकार को यह आभास हो कि किसी व्यक्ति के कृत्य से राज्य की सुरक्षा को खतरा है तो उसे 2 वर्षों तक प्रशासनिक हिरासत में रखा जा सकता है. यदि किसी व्यक्ति के कृत्य से सार्वजनिक व्यवस्था को बनाए रखने में कोई बाधा उत्पन्न होती है तो उसे 1 वर्ष की प्रशासनिक हिरासत में लिया जा सकता है. PSA के तहत हिरासत के आदेश संभागीय आयुक्तों या ज़िला मजिस्ट्रेट द्वारा जारी किये जा सकते हैं.

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बता दे कि इस कानून का गठन 1978 में राज्य लकड़ी तस्करी को रोकने के लिए किया गया था.

Last Updated : Oct 2, 2019, 2:11 PM IST

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