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सुप्रीम कोर्ट ने दी सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन देने की मंजूरी

दिल्ली हाईकोर्ट ने 2010 में सेना को सभी महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने का आदेश दिया था. केन्द्र सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. केन्द्र सरकार का तर्क था कि सेना में यूनिट पूरी तरह से पुरुषों की है. ऐसे में पुरुष महिला अधिकारियों को स्वीकार नहीं करेंगे. अभी 14 साल तक शॉर्ट सर्विस कमीशन में सेवा दे चुके पुरुष सैनिकों को स्थायी कमीशन का विकल्प दिया जाता है.

permanent commission of women
उच्चतम न्यायालय

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Published : Feb 17, 2020, 10:55 AM IST

Updated : Mar 1, 2020, 2:35 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन देने का आदेश दिया है. कोर्ट ने इस मामले में केन्द्र सरकार के रवैये पर खिंचाई की है. सरकार ने कहा कि सामाजिक और मानसिक कारण बताकर महिला अधिकारियों को अवसर से वंचित नहीं किया जा सकता है. केन्द्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें स्थायी कमीशन देने का आदेश दिया गया था.

फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि हमें पूर्वाग्रहों को छोड़ना होगा. आज महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलती हैं.

आपको बता दें कि सरकार ने सेना के 10 विभागों में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने की नीति बनाई थी. लेकिन उनमे कांबेट विंग शामिल नहीं है. यानि युद्ध करने वाले विंग में उन्हें शामिल नहीं करने का फैसला लिया गया था. जिन विभागों में कमीशन देने का फैसला किया गया, उनमें आर्मी सर्विस कोर, आर्मी एविएशन, आर्मी एजुकेशन कोर, इंजीनियर्स, इलेक्ट्रॉनिक्स-मैकेनिकल इंजीनियरिंग, आर्मी ऑर्डिनेंस, इंटेलिजेंस, आर्मी सर्विस कोर, आर्मी एयर डिफेंस और जज एडवोकेट जनरल शामिल हैं.

न्यायालय के फैसले पर लेफ्टिनेंट कर्नल सीमा सिंह की प्रतिक्रिया

न्यायालय के इस फैसले को लेकर भारतीय सेना की लेफ्टिनेंट कर्नल सीमा सिंह ने कहा कि यह बेहद प्रगतिशल कदम है. उन्होंने कहा कि न्यायालय के इस फैसले से महिलाओं के लिए कई रास्ते खुलेंगे.

Last Updated : Mar 1, 2020, 2:35 PM IST

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