नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने आज रेप के आरोपियों की पहचान को सार्वजनिक न करने वाली दो याचिका पर केन्द्र सरकार को नोटिस दे कर जबाब मांगा है. याचिका में कहा गया है कि रेप के कई ऐसे मामलों में गलत रिपोर्ट दर्ज होने पर आरोपी की पहचान सार्वजनिक होने पर उसकी सामजिक प्रतिष्ठा पर गहरा प्रभाव पड़ता है.
सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ के न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे और बी आर गवई ने याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार से पूरा विवरण फाइल करने के लिए कहा है.
बता दें, रीपक कंसल और यूथ बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया नाम की संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है. इस याचिका में कहा गया है कि महिलाओं या बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न और रेप जैसे कई मामलों में गलत रिपोर्ट दर्ज होने पर आरोपी की पहचान सार्वजनिक होने से उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा पर गहरा धक्का लगता है, यह संविधान की ओर से मिले सम्मान के साथ समाज में रहने के अधिकार का उल्लंघन करता है. वैसे भी देश का कानून कहता है कि जब तक अदालत किसी को दोषी साबित नहीं करती, व्यक्ति को निर्दोष ही माना जाता है.
वकील सनप्रीत सिंह अजमानी और कुलदीप राय ने यूथ बार एशोसियसन आफ इंडिया की तरफ से याचिका दाखिल की है.