नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को एक मुस्लिम महिला की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमें उसने उसे तलाक के लिए पति की ओर से दिए गए नोटिस को चुनौती दी थी.
न्यायालय ने कहा है कि वो इस मामले में रिट याचिका पर विचार नहीं कर सकता है. न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना ने इस टिप्पणी के साथ ही मुस्लिम महिला की याचिका का निबटारा कर दिया.
पीठ ने कहा कि इस न्यायालय में तलाक के नोटिस को चुनौती नहीं दी जा सकती. न्यायालय ने उसे राहत के लिए उचित मंच पर जाने की छूट दे दी.
महिला के वकील एम एम कश्यप ने कहा कि पर्सनल लॉ के तहत तलाक-ए-अहसन की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है.