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पश्चिम बंगाल : पेड़ों की कटाई पर SC गंभीर, अध्ययन समिति बनाने का आदेश - पेड़ों की कटाई पर SC गंभीर

पश्चिम बंगाल में ओवर ब्रिज के निर्माण के लिए पेड़ों की कटाई के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने दो सदस्यीय समिति बनाए जाने का आदेश दिया है. समिति पांच सप्ताह में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.

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सुप्रीम कोर्ट

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Published : Jan 9, 2020, 7:34 PM IST

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में आमजन की सुरक्षा और सुविधा को देखते हुए रेलवे ओवर ब्रिज और नेशनल हाईवे के विस्तार के लिए पेड़ कटाई मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में अध्ययन के लिए दो सदस्यीय विशेषज्ञ समिति बनाए जाने का आदेश दिया.

भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुआई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने यह आदेश गुरुवार को दिया. कोर्ट ने कहा कि समिति में एक सदस्य पंश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से और दूसरा गैर सरकारी संगठन, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स (यह एक एनजीओ है) की तरफ से होगा.

यह विशेषज्ञ समिति पश्चिम बंगाल में ओवर ब्रिज के निर्माण के लिए पेड़ों की कटाई के विकल्पों का मूल्यांकन करेगी. समिति को पांच सप्ताह में अपनी रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंपनी है.

गौरतलब है कि पुल का निर्माण भारत की पूर्वी सीमा में बारासात को पेन्ट्रापोल(बंग्लादेश सीमा) से जोड़ने के लिए किया जाएगा. ओवर ब्रिज के निर्माण से लगभग 100 साल पुराने पेड़ों की कटाई हो सकती है.

सुप्रीम कोर्ट में एनजीओ का पक्ष रखने वाले वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सुधाव दिया कि ओवर ब्रिज की बजाय अंडर ब्रिज बनाया जा सकता है, इससे पेड़ नहीं काटने पड़ेंगे और न ही ब्रिज के ढांचे में बदलाव की जरूरत पड़ेगी. भूषण ने कहा कि वहां लगे पेड़ लगभग 100 वर्ष पुराने हैं और इन सुझावों पर अमल हो तो पेड़ों की कटाई से बचा जा सकता है.

दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल सरकार का पक्ष रखने वाले वरिष्ठ वकील एएम सिंघवी ने कहा कि एक विशेषज्ञ समिति बनाई गई थी और उसने सभी विकल्पों का मूल्यांकन किया था. सिंघवी ने दावा किया कि ओवर ब्रिज की बजाय अगर अंडर ब्रिज बनता है तो इसमें पेड़ों की कटाई अधिक होगी.

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हालांकि सीजेआई बोबडे ने बंगाल सरकार से पूछा कि क्या NGO के सुझावों पर विचार किया जा सकता है. आदेश को निर्धारित करते हुए बोबडे ने कहा, 'यह मामला पर्यावरणीय क्षरण और विकास के बीच सामान्य दुविधा प्रस्तुत करता है.' इस मामले की सुनवाई 18 फरवरी को होनी है.

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