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तुलसीदास ने लिखी थी रामचरित मानस, शख्स ने हिंदी में लिख दी गीता - author Roshan Jha

महाकवि तुलसीदास से प्रेरित होकर जमशेदपुर के रहने वाले रौशन झा ने श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों को चौपाई के रूप में लिखा है. यह चौपाई अवधी में नहीं बल्कि हिंदी में है. पढे़ं विस्तार से....

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रौशन झा

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Published : May 6, 2020, 8:58 PM IST

जमशेदपुर: जिस तरह महर्षि बाल्मीकि की लिखी रामायण को महाकवि तुलसीदास ने अवधि भाषा में लिखकर उसे रामचरित मानस का नाम दिया. उसी तरह उनसे प्रेरित होकर जमशेदपुर में रहने वाले रौशन झा ने गीता के श्लोकों को चौपाई के रूप में लिखा है, जो अब तक के इतिहास में पहली बार किया गया है.

गीता का हिंदी रूपांतरण

जमशेदपुर के गोविंदपुर दयाल सीटी में रहने वाले रौशन झा पेशे से व्यवसायी हैं. साहित्य में इनका बचपन से लगाव था. दिल्ली रहने के दौरान 1995 में रौशन झा ने गीता में लिखे संस्कृत में श्लोकों को पढ़ने के दौरान यह महसूस किया कि इन श्लोकों को चौपाई का रूप दिया जाए, जो हिंदी भाषा में हो तो देश की आम जनता सहजता से पढ़ लेगी. अक्टूबर महीने में उन्होंने भागवत गीता के सात सौ श्लोकों को चौपाई में लिखने का संकल्प लेकर अध्यन करना शुरू किया. बता दें कि महाभारत में श्री कृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र के मैदान में युद्ध के दौरान दिव्य ज्ञान दिया था, जिसे महर्षि व्यास ने 18 अध्याय में लिखा है, जिसमें सात सौ श्लोक संस्कृत भाषा में लिखे गए हैं.

इस युवक ने हिंदी में लिख डाली गीता

मार्च 2020 में हुआ पूरा

रौशन झा बताते है कि मेरे लिए इस संकल्प को पूरा करना एक कड़ी चुनौती थी, लेकिन कठिनाइयों का सामना करते हुए साहित्य का सहारा लेते हुए दर्जनों पुस्तकों का अध्यन कर गीतामृत के नाम से श्लोक को चौपाई के रूप में हिंदी में लिखना शुरू किया. इस बीच वह दिल्ली से जमशेदपुर में आकर बस गए, लेकिन चौपाई लिखने का सिलसिला जारी रहा. वह बताते हैं कि कभी-कभी एक श्लोक का हिंदी में रूपांतर करने में 20 से 25 दिन लग जाता था. 25 साल तक लगातार परिश्रम करने के बाद 2020 मार्च में उनका संकल्प पूरा हुआ. रौशन झा की लिखी गीतामृत को प्रकाशक की जरूरत है, जिससे वो अपनी गीतामृत को आज की पीढ़ी को सौंप सकें.

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लोगों की जुबान पर गीतामृत

इधर, क्षेत्र में गीतामृत की चर्चा लोगों की जुबान पर है. रौशन झा के द्वारा गीता के श्लोक को सरल हिंदी भाषा में चौपाई के रूप में सुनने के लिए पड़ोसी उनके घर आकर गीतामृत का आनंद लेते हैं. पड़ोसियों का कहना है कि रौशन झा ने एक बड़ा काम कर दिखया है, जो आज तक किसी ने नहीं किया. बहरहाल, आधुनिक युग में संस्कृत भाषा और जनमानस में दूरी बनती जा रही है. ऐसे में संस्कृत भाषा में लिखे गीता के ज्ञान को सहज भाषा में लिखकर रौशन झा ने समाज को गीतामृत की नई सौगात दी है, जिससे आज की पीढ़ी के अलावा आने वाली पीढ़ी को गीता ज्ञान प्राप्त करने में आसानी होगी.

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