नई दिल्ली :कई महीने से भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में चले आ रहे गतिरोध की पृष्ठभूमि में पहली बार प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग का आमना-सामना हुआ. चीन, पाकिस्तान और भारत सहित आठ सदस्य देशों वाले एससीओ समूह के नेता एससीओ शिखर सम्मेलन में डिजिटल माध्यम से शामिल हुए जिसकी मेजबानी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने की.
शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने एससीओ के एजेंडे में द्विपक्षीय मुद्दों को लाने के प्रयासों को 'दुर्भाग्यपूर्ण' करार दिया और कहा कि भारत एससीओ चार्टर में निर्धारित सिद्धांतों के अनुसार काम करने के लिए प्रतिबद्ध है. मोदी और जिनपिंग के अलावा पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान भी इस सम्मेलन में मौजूद थे.
मंगलवार को सदस्य राष्ट्रों के बीच संपर्क मजबूत करने में भारत की सहभागिता का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा, 'एससीओ क्षेत्र से भारत का घनिष्ठ सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध रहा है. हमारे पूर्वजों ने इस साझा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को अपने अथक और निरंतर संपर्कों से जीवंत रखा. अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर, चाबहार पोर्ट, अश्गाबात समझौते, जैसे कदम संपर्क के प्रति भारत के मजबूत संकल्प को दर्शाते हैं. भारत का मानना है कि संपर्क को और अधिक गहरा करने के लिए यह आवश्यक है कि एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान के मूल सिद्धांतों के साथ आगे बढ़ा जाए.'
पीएम मोदी और जिनपिंग का आमना-सामना होने के संबंध में विदेश नीति विशेषज्ञ ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के निदेशक प्रो हर्ष पंत ने ईटीवी भारत को बताया पीएम मोदी चीन, पाकिस्तान दोनों को अपना संदेश दे रहे थे. उन्होंने कहा कि पीएम ने यह स्पष्ट करने का प्रयास किया कि एससीओ के साथ भारत का जुड़ाव इस बुनियादी सिद्धांत पर कुछ मायनों में आकस्मिक है. इनमें मुख्य बात है कि ऐसे मंचों पर भारत द्विपक्षीय मामलों पर बात नहीं करता है.
बकौल हर्ष पंत, पीएम मोदी ने स्पष्ट किया कि क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना भारत की विदेश नीति की प्राथमिकता का एक बहुत महत्वपूर्ण आधारशिला है. उन्होंने कहा कि एससीओ ने भारत को मध्य एशिया तक पहुंच प्रदान की है जो निश्चित रूप से बहुत महत्वपूर्ण अफगानिस्तान, अन्य कारक और आतंकवाद का प्रबंधन आदि को देखते हुए है, लेकिन यह भारतीय कूटनीति को भी चुनौती देता है.
उन्होंने कहा कि अब जबकि रूसी चीनी के साथ बहुत गहराई से जुड़े हुए हैं, तो भारत के लिए यह समीक्षा करना महत्वपूर्ण हो जाता है कि क्या भारत की उम्मीद के मुताबिक रूस एक ईमानदार ब्रोकर की भूमिका निभाएगा ? पंत ने कहा, 'मुझे लगता है कि आगे भी एक महत्वपूर्ण विचार बना रहेगा.'
दरअसल, मोदी का यह बयान चीन के साथ चल रहे गतिरोध और विवादास्पद 'बेल्ट एंड रोड कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट' की पृष्ठभूमि में आया है. आतंकवाद के मुद्दे पर भी चीन लगातार पाकिस्तान का पक्ष लेता रहा है.
जिनपिंग ने कहा कि एससीओ के सदस्य देशों को आतंकवादी, अलगाववादी और चरमपंथी ताकतों से कड़ाई से निपटते समय पारस्परिक विश्वास को मजबूत करना चाहिए तथा आपसी विवादों और मतभेदों का समाधान वार्ता एवं चर्चा के जरिए करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि इतिहास ने साबित किया है और साबित करता रहेगा कि अच्छे संबंध और पड़ोसियों से मित्रता मददगार होती है तथा पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग आपसी हित में रहता है.
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में छह महीने से चले आ रहे गतिरोध की पृष्ठभूमि में जिनपिंग ने कहा, 'हमें एकजुटता और पारस्परिक विश्वास को मजबूत करने तथा विवादों एवं मतभेदों का समाधान वार्ता एवं चर्चा से करने की आवश्यकता है.'
जिनपिंग ने कहा, 'हमें समान, समग्र और सतत सुरक्षा पर काम करने, सभी तरह के खतरों और चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने तथा हमारे क्षेत्र में मजबूत सुरक्षा माहौल बनाने की आवश्यकता है.'
उन्होंने कहा कि एससीओ के विकास के लिए राजनीतिक आधारशिला को मजबूत करने के क्रम में महामारी का फायदा उठाने के आतंकवादी, अलगाववादी और चरमपंथी ताकतों के प्रयासों को विफल करना, मादक पदार्थों के प्रसार पर रोक, इंटरनेट आधारित चरमपंथी विचारधारा के प्रसार पर रोक लगाना और एससीओ देशों के बीच कानून प्रवर्तन सहयोग को मजबूत करना अत्यंत महत्वपूर्ण है.