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लोकसभा चुनाव: कुछ संसदीय सीटों पर राष्ट्रीय दलों को चुनौती देंगे क्षेत्रीय दल

नक्सल प्रभावित सीटों पर क्षेत्रीय दलों का दबदबा. नक्सल प्रभावित इलाकों में राष्ट्रीय दलों के लिए बड़ी चुनौती क्षेत्रीय दल. पढ़ें क्या है राजनीतिक समीकरण...

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Published : Apr 8, 2019, 12:05 AM IST

चुनाव कंसेप्ट फोटो

नई दिल्ली: भारत के 11 जिले नक्सल प्रभावित हैं. इन जिलों में करीब 39 संसदीय सीटें हैं. एक अनुमान के मुताबिक इनमें से करीब 40 प्रतिशत सीटों पर क्षेत्रीय दलों का दबदबा है. छत्तीसगढ़ एवं पश्चिम बंगाल को छोड़कर इन इलाकों में क्षेत्रीय दल अब राष्ट्रीय दलों के लिये चुनौती हैं.

छत्तीसगढ़ की नक्सल प्रभावित सीटों पर पिछले छह लोकसभा चुनावों में भाजपा और कांग्रेस के बीच टक्कर रही है. जबकि पश्चिम बंगाल में माकपा और तृणमूल कांग्रेस का कब्जा बना रहा.

भाजपा का कब्जा बरकरार
अगर बात करें पिछले छह चुनावों की तो, छत्तीसगढ़ में राजनंदगांव, महासमुंद, बस्तर, कांकेर सीटें नक्सल प्रभावित रही हैं. बस्तर एवं कांकेर सीट पर 1998 के चुनाव के बाद से भाजपा का कब्जा बरकरार है.

कांग्रेस का गढ़ थी
सीटें पहले कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी. जबकि 1998 एवं 2007 उपचुनाव को छोड़कर यह सीटें भाजपा के कब्जे में रही जबकि महासमुंद सीट पर भाजपा एवं कांग्रेस में टक्कर रही.

तृणमूल कांग्रेस और माकपा का दबदबा
वहीं, पश्चिम बंगाल की नक्सल प्रभावित झाड़ग्राम सीट 2014 में तृणमूल कांग्रेस और 2009 में माकपा जीती थी. मिदनापुर और बांकुरा सीट 1996 से 2009 तक माकपा के कब्जे में थी और 2014 के चुनाव में दोनों सीट तृणमूल कांग्रेस जीती.पुरूलिया 2014 में तृणमूल कांग्रेस जीती.

तिहाई सीटों पर भाजपा का प्रभाव
2014 में भाजपा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की सीटों में एक तिहाई सीटों पर भाजपा अपना प्रभाव डालने में सफल रही थी. झारखंड के चतरा, पलामू जैसी नक्सल प्रभावित सीटों पर झामुमो, राजद जैसे क्षेत्रीय दलों का प्रभाव रहा. खूंटी, गिरिडीह, धनबाद और रांची सीट पर भाजपा ने अपना प्रभाव बनाये रखा हालांकि इन सीटों पर क्षेत्रीय दलों से उसे कड़ी चुनौती मिली जबकि लोहरदगा सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच टक्कर रही.

बिहार के क्षेत्रिय दलों का वर्चस्व
बिहार की नक्सल प्रभावित सीटों में जमुई, जहानाबाद, मुंगेर, बांका, वैशाली और मुजफ्फरपुर सीट पर पिछले छह चुनाव में जदयू, राजद, लोजपा जैसे दलों का प्रभाव रहा.

तेलंगाना में भी क्षेत्रीय दलों का प्रभुत्व
केरल की पलक्कड सीट पर 1996 से 2014 तक लोकसभा चुनाव में माकपा ने जीत दर्ज की थी तो तेलंगाना की आदिलाबाद सीट पर पिछले पांच चुनाव में टीडीपी का कब्जा रहा.खम्मम सीट पर वाईएसआर कांग्रेस और तेदेपा ने कांग्रेस को सफल चुनौती दी तो वारंगल सीट पर 2014 में टीआरएस तथा 2009 में कांग्रेस जीती.
नबरंगपुर एवं कालाहांडी सीट पर बीजद ने 2014 के चुनाव में कांग्रेस एवं भाजपा को पराजित किया संभलपुर सीट पर 2009 को छोड़ कर पिछले पांच चुनाव में बीजद ने जीत दर्ज की.

आंध्रप्रदेश में टीडीपी का प्रभाव रहा
आंध्रप्रदेश में राजमुंदरी, गुंटूर तथा श्रीकाकुलम सीट पर पिछले कुछ चुनाव में टीडीपी का प्रभाव रहा.

मध्य प्रदेश में भाजपा का दबदबा
मध्य प्रदेश की नक्सल प्रभावित सीट बालाघाट एवं महाराष्ट्र के चंद्रपुर पर भाजपा का दबदबा रहा.

उत्तर प्रदेश में क्षेत्रिय दलों का वर्चस्व रहा
उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर सीट अधिकांश क्षेत्रिय दलों का कब्जा रहा.नक्सलबाड़ी आंदोलन के बाद झारखंड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश जैसे 11 राज्यों में कम्यूनिस्ट पार्टी का दबदबा रहा है.

(भाषा की इनपुट के साथ)

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