नई दिल्ली : राष्ट्रीय किसान महासंघ के तरफ से जानकारी दी गई है कि जल्द ही उनके शीर्ष नेताओं की एक बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित होगी, जिसमें वो केंद्र सरकार के द्वारा हाल में लाये गए अध्यादेशों के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन की रणनीति तैयार करेंगे.
तीन साल पहले आज के ही दिन मध्यप्रदेश के मंदसौर में कर्ज माफी और फसल में लागत का डेढ़ गुना दाम की मांग के साथ प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पुलिस फायरिंग के दौरान छह किसानों की मौत हो गई थी.
आज देश के कई राज्यों में राष्ट्रीय किसान महासंघ से सम्बद्ध किसानों ने एक दिन का उपवास रखा, हवन किया और मृत किसानों को शहीद के रूप में याद किया.
कोरोना वायरस के कारण रेड जोन में सभी किसानों ने अपने घरों में ही उपवास किया व ग्रीन जोन में किसानों ने सोशल डिस्टेन्सिंग का ध्यान रखते हुए गांवों में सामूहिक उपवास किया. राष्ट्रीय किसान महासंघ ने आज प्रधानमंत्री को ज्ञापन भी भेजा है.
गांधीवादी नेता अन्ना हजारे ने भी किसान शहीद दिवस पर उपवास किया और किसानों व मजदूरों के नाम जारी वीडियो संदेश में कहा कि केंद्र सरकार किसानों को उनकी फसलों का स्वामीनाथन आयोग के C2+50% फॉर्मूले के अनुसार MSP नहीं दे रही है.
उन्होंने कहा कि जब तक किसानों को लागत के ऊपर 50% जोड़कर न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं दिया जाएगा तब तक किसानों की स्थिति में सुधार संभव नहीं है.
मध्यप्रदेश से किसान नेता शिव कुमार कक्काजी ने सन्देश जारी करते हुए कहा कि केंद्र सरकार कोरोना वायरस के कारण लागू किये गए लॉकडाउन का फायदा उठाकर किसान-विरोधी अध्यादेश पारित कर रही है.
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने C2+50% के फार्मूले के अनुसार किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं दिया है और निकट भविष्य में राष्ट्रीय किसान महासंघ विभिन्न राज्यों से आंकड़े इकठ्ठा कर C2 लागत के असली आंकड़ों को कृषि मंत्रालय के साथ साझा करेगा और C2 लागत के सरकारी आंकड़ों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी.
उन्होंने कहा कि अध्यादेश के जरिये कानून बनाना अलोकतांत्रिक है और किसानों के विषय में कोई भी कानून बनाने से पहले केंद्र सरकार को किसानों से चर्चा करनी चाहिए.