लखनऊ : उत्तर प्रदेश का ऐतिहासिक जिला रामपुर, जो कभी नवाबों की रियासत था. देश की स्वतंत्रता के बाद रामपुर भी अन्य रियासतों की तरह भारत सरकार में शामिल हो गया. हालांकि, नवाबों की जमीन और जायदाद आज भी रामपुर में मौजूद है. जिसके मालिकाना हक के लिए दशकों से सुप्रीम कोर्ट में केस चल रहा था.
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट के फैसले अनुसार अंतिम नवाब रजा अली खान की संपत्ति का वितरण परिवार के 16 लोगों के बीच शरीयत के मुताबिक हो रहा है.
नवाब परिवार की रामपुर में अरबों रुपये की जायदाद है. इस पर 1972 से केस चल रहा है. सबसे पहले जायदाद को लेकर जिला न्यायाधीश के यहां मामला दायर किया गया था, जो बाद में उच्च न्यायालय और फिर उच्चतम न्यायालय में पहुंचा.
इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय देश भर में नवाब परिवारों के लिए एक मिसाल बन गया है.
वैसे नवाबी परंपरा के अनुसार, बड़ा बेटा नवाब की परिवारिक संपत्ति का हकदार होता है, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने रामपुर के नवाब की परिवारिक संपत्ति को शरिया के अनुसार विभाजित करने का निर्णय लिया है.
अंतिम नवाब रजा अली खान ने 1949 तक रामपुर में शासन किया. 1967 में उनकी मृत्यु के बाद, बड़े बेटे नवाब मुर्तजा अली खान ने पदभार संभाला. नवाब परिवार के अन्य सदस्यों ने उनके खिलाफ मुकदमा दायर किया.
फिलहाल नवाब की संपत्ति का आंकलन किया जाना है और उसके बाद इसे 16 वारिसों में विभाजित किया जाएगा.
जानकारी के अनुसार, नवाब के खजाने में कई मूल्यवान चीजें हैं. इनमें पिस्टल राइफल जैसी प्रसिद्ध कंपनियों के ब्रांडेड हथियार शामिल हैं. इसके अलावा सोने और चांदी की तलवारें और चाकू भी शामिल हैं.
इतना ही नहीं रजा अली खान के खजाने के अलावा, उनकी कोठी में एक स्ट्रोंग रूम है, जिसमें सबसे मूल्यवान हीरे के गहने होने की संभावना है.
अदालत ने इस स्ट्रोंग रूम को खोलने की अनुमति दे दी है. जिसके बाद से लगातार तीन दिनों से इसे खोलने की कोशिश की जा रही है, लेकिन अभी तक इस स्ट्रांग रूम को नहीं खोल जा सका है. इसको खोलने के प्रयास अभी भी चल रहे हैं.
बताया जा रहा है कि इस स्ट्राोंग रूम का निर्माण लंदन स्थित एक कंपनी चूब द्वारा किया गया था. इसको आसानी से नहीं खोला जा सकता है. यहां तक कि इसपर बम से भी कोई प्रभाव नहीं पडे़गा.