नई दिल्ली: 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद एचआरडी मंत्री बनी स्मृति इरानी एक ऐसी हस्ती हैं, जो कभी हार नहीं मानती हैं. इसी का नतीजा है कि वे अमेठी से चुनाव जीत कर लोकसभा की पहली बार सदस्य बनीं. इसके साथ ही उन्हें महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय के साथ-साथ कपड़ा मंत्रालय सौंपा गया है.
2014 में राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ने के बाद मिली हार के बाद भी वो अमेठी में डंटी रहीं. बीते पांच सालों में जनता के बीच जनसंपर्क, जनसभा और नुक्कड सभाओं के माध्यम से वे लोगों से जुड़ी रहीं. इसका ही नतीजा है कि वो राहुल गांधी को हरा कर 2019 लोकसभा चुनाव में अमेठी सीट पर कब्जा जमा बैठीं.
43 साल की स्मृति इरानी ने एक टीवी कलाकार के रूप में शुरुआत की थी. एकता कपूर के सीरियल क्योंकि सास भी कभी बहू थी, में उन्होंने तुलसी का सशक्त किरदार निभाया था. उनका यह किरदार काफी पोपुलर हुआ था. बल्कि टीवी के इतिहास में यह किरदार अविस्मरणीय माना जाता है. उसके बाद उन्होंने राजनीति में आने का फैसला लिया. बहुत लोगों को लगा था कि रूपहले पर्दे को छोड़ना उनके लिए अच्छा नहीं होगा, लेकिन स्मृति ने सभी पंडितों को धता बता दिया.
स्मृति ने वो कर दिखाया, जिसके बारे में दूसरे नेता सोचते रह जाते हैं. उन्होंने कांग्रेस के सबसे मजबूत किले को ध्वस्त कर दिया, 2014 में उन्होंने राहुल को कड़ी टक्कर दी और मात्र 1.07 लाख वोट से हारीं. उन्होंने कुल 3.7 लाख वोट हासिल किए थे. हार के बाद भी पाच साल तक कड़ी मेहनत का फल मतदाताओं ने उन्हे 2019 में दिया.
चुनाव प्रचार के दौरान लगातार स्मृति ने इस बात पर जोर दिया किया कि अमेठी की जनता बदलाव चाहती है और इसलिए वो पीएम मोदी को वोट करे.
23 मई को चुनाव परिणाम आने के साथ ही साफ हो गया कि राहुल गांधी को हरा कर स्मृति ने विजय पताका फहराया है. जीत मिलने के बाद राहुल ने उन्हें जीत की बधाई भी दी. इसके बाद ही स्मृति ने दुश्यंत कुमार कि कविता की कुछ पंक्तियां ट्वीट कर लिखा, 'कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं हो सकता.'
अपनी जीत के बाद 26 मई को वो फिर अमेठी पहुंचीं. इस बार वे चुनाव प्रचार के लिए नहीं, बल्कि बीजेपी कार्यकर्ता सुरेंद्र कुमार की अर्थी को कांधा देने के लिए.
सबसे पहली बार स्मृति ने 2004 में दिल्ली की चांदनी चौक लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन बुरी तरह कपिल सिब्बल से हार गईं थी.