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जानें कोरोना वायरस महामारी से बचाव के लिए आयुर्वेदिक उपाय - आयुर्वेद

कोरोना वायरस का टीका बनाने के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक जुटे हुए हैं. वहीं आयुर्वेद में प्रकृतिक महामारी और इसके संकेतों की पहचान का जिक्र किया गया है. आप आयुर्वेद की मदद से अपने आपको कोरोना वायरस के प्रकोप से बचाकर रख सकते हैं. पढ़ें पूरी खबर...

prevention from coronavirus in ayurveda
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Published : Apr 9, 2020, 8:21 PM IST

हैदराबाद : कोरोना वायरस का टीका बनाने के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक जुटे हुए हैं. वहीं आयुर्वेद में प्रकृतिक महामारी और इसके संकेतों की पहचान का जिक्र किया गया है.

आयुर्वेद यह मानता है कि ऐसी महामारी एक बीमार व्यक्ति से दूसरे स्वस्थ व्यक्ति में फैलती है.

ऐसे समय में जब कोरोना वायरस महामारी का टीका मौजूद नहीं है और दवाओं की गैर-उपलब्धता है, आयुर्वेद में इसकी चिकित्सक खोज की जा सकती है.

आयुर्वेद डिस्पेनिया (Dyspnea - सांस लेने में कठिनाई) को पांच भागों में बांटता है :-

  1. महा श्वासा (Maha shwasa) - (भयानक डिस्पनिया)
  2. उर्ध्वा श्वासा (Urdhwa shwasa) - (उच्च या अधिक डिस्पेनिया)
  3. चिन्ना श्वासा (Chinna shwasa) - (बाधित डिस्नेना)
  4. तमका श्वासा (Tamaka shwasa) - (दमघुटने वाला डिस्पेनिया)
  5. क्षुद्र श्वासा (Kshudra shwasa) - (मामूली डिस्पेनिया)

कोरोना संक्रमण क्षुद्र श्वासा (मामूली डिस्पेनिया) या तुच्छ श्वसन रोग (Trivial Respiratory Disease) की श्रेणी में आता है. यह प्रतिरक्षाविहीन रोगियों में कम लेकिन उनके जीवन के लिए खतरा है.

आयुर्वेद ने अनुसार, जिन लोगों को संक्रमण का संदेह हो, उन्हें इन बात का ख्याल रखना चाहिए और इन तरीकों से अपनी देखभाल करना चाहिए :-

1. घरेलू नुस्खे

अदरक

  • मुट्ठी भर अदरक लें और इसे साफ पानी से धो लें. फिर छीलकर उसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें. ढक्कन ढककर दो से तीन मिनट के लिए पानी में उबालें. अदरक के टुकड़ों को फिर रस निकालने के लिए दबाएं. इसके बाद एक चुटकी हल्दी और कुछ गुड़ मिलाएं और अच्छी तरह मिलाएं. इस रस का दिन में दो बार सेवन करें.
  • अदरक का एक छोटा सा टुकड़ा लें और इसे चॉकलेट की तरह मुंह में रखें. धीरे-धीरे इसे पांच-10 मिनट तक चबाएं.

काली मिर्च

काली मिर्च पाउडर के साथ केला खाएं.

हल्दी

गर्म दूध में एक चुटकी हल्दी मिलाएं और दिन में एक बार पिएं.

लहसुन

चार या पांच लहसुन के टुकड़े लें. आप इन्हें भाप में भी पका कर खा सकते हैं या फिर घी में भूनकर. इसके अलावा सब्जी बनाते हुए भी लहसुन का इस्तेमाल कर सकते हैं.

तुलसी

तुलसी के पत्तों को साफ पानी से धोएं और दो पत्ते खाएं. आप इसका रस निकालकर एक चुटकी हल्दी मिलाकर भी सेवन कर सकते हैं.

सेंधा नमक

हल्की तली हुई काली मिर्च पाउडर में थोड़ा सेंधा नमक मिलाएं और दिन में दो बार खाएं.

अंगूर

आयुर्वेद के अनुसार अंगूर सबसे अच्छे फल हैं. हर दिन कुछ किशमिश का सेवन आपके लिए फायदेमंद होता है. यह खांसी में आराम पहुंचाती हैं.

दालचीनी

एक चुटकी दालचीनी पाउडर लें और उसमें काली मिर्च और सोंठ पाउडर मिलाएं. दिन में दो बार इसकी चाय बनाकर पीएं.

इसके अलवा घी, खट्टे फल, अंगूर खाएं और समय-समय पर गर्म पानी पिएं. अपने श्वसन तंत्र (Respiratory System) को मजबूत करने के लिए एक घंटे तक व्यायाम करें.

2. रोगनिरोधक दवाईयां

अगस्त्य रसायन (Agastya Rasayan)

अगस्त्य रसायन पांच ग्राम प्रतिदिन सुबह नाश्ते से पहले दस दिनों तक खाएं.

शादंगा पानिया (Shadanga paniya)

दस दिनों तक दिन में एक बार शादन पानिया के दो टेबल स्पून का सेवन करें.

हरिद्राखंड (Haridrakhand)

एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच हरिद्राखंड मिलाएं और दिन में एक बार दस दिनों तक पिएं.

त्रिभुवनकीर्ति (Tribhuvanakirti)

त्रिभुवनकीर्ति की दो गोलियां दिन में दो बार दस दिनों तक लें.

यष्टिमधु और कलमेघ (Yashtimadhu and Kalmegh)

प्रति दिन यष्टिमधु की गोलियां खाएं और कलमेघ (नेलवेमु - nelavemu) सिरप को दस दिनों तक एक चम्मच लें.

3. संगरोध और स्व अलगाव

जिन लोगों को कोरोना के लक्षण दिखाई पड़ते हैं. जैसे एनोस्मिया (गंध की कमी), सामान्य सर्दी, बुखार, छींक, खांसी, कमजोरी, सिर दर्द आदि. वह आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेकर, इन दवाओं का सेवन कर सकते हैं : -

कनकासावा (Kanakasava)

20 मिली लीटर कनकासावा (Kanakasava) को दिन में दो बार लें.

वसंतकरी लेहा (Vasakantakari Lehya)

भोजन से पहले दिन में दो बार पांच ग्राम वसंतकरी लेहा (Vasakantakari Lehya) का सेवन करें.

त्रिभुवन कीर्ति (Tribhuvana Kirti)

दिन में दो बार गर्म पानी के साथ त्रिभुवन कीर्ति (Tribhuvana Kirti) की गोलियां खाएं.

अगस्त्य रसायन (Agastya Rasayan)

दिन में दो बार पांच ग्राम अगस्त्य रसायन (Agastya Rasayan) खाएं.

तालीसड़ी चूर्ण (Talisadi churna) और गुडुची सतवा (Guduchi satva)

तालीसड़ी चूर्ण (Talisadi churna) के साथ गुडुची सतवा (Guduchi satva) को मिलाकर सेवन करें.

- डॉ. रंगनायुकुलु (Dr. Rangnayukulu)

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