नई दिल्ली: आम चुनावों के दौरान अपने बयानों के कारण विवादों का सामना करने वाली बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को लोकसभा में पहले दिन ही विपक्ष के विरोध का सामना करना पड़ा. दरअसल, जब वे शपथ ले रही थीं तो उन्होंने अपने नाम के साथ 'चिन्मयानंद अवधेशानंद गिरि' का नाम जोड़ दिया. इसके बाद विपक्ष ने विरोध करना शुरू कर दिया, जिससे बीजेपी सांसद तीन बार में शपथ पूरी कर पाईं.
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के शपथ लेते विपक्ष ने किया विरोध. (सौ. राज्यसभा) दरअसल, सोमवार को 17वीं सत्रहवीं लोकसभा के पहले सत्र के पहले दिन नए सदस्यों को शपथ दिलाई जा रही थी. जब मध्य प्रदेश के सदस्यों का नंबर आया तो भोपाल से निर्वाचित होकर आई साध्वी प्रज्ञा का नाम पुकारा गया. साध्वी प्रज्ञा ने संस्कृत में शपथ ली. उन्होंने अपना नाम साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर पूर्णचेतनानन्द अवधेशानंद गिरि बोला. उन्होंने अपनी शपथ पूरी करने के बाद 'भारत माता की जय' भी बोला. उनके इस नाम को लेकर कांग्रेस समेत विपक्ष के कुछ सदस्यों ने आपत्ति जताई.
पीठासीन अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार ने प्रज्ञा ठाकुर से संविधान या ईश्वर के नाम पर शपथ लेने को कहा. साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि वह ईश्वर के नाम पर ही शपथ ले रही हैं और अपना वही नाम ले रही हैं जो उन्होंने फॉर्म में भरा है. इस बीच कुछ देर तक लोकसभा के अधिकारी और कर्मचारी रिकार्ड में साध्वी प्रज्ञा का उल्लेखित नाम खोजते रहे. इसके बाद जब अध्यक्ष के हस्तक्षेप से हंगामा थमा तो ठाकुर ने शपथ-पत्र का नाम के बाद का हिस्सा ही पढ़ा. इस पर भी कांग्रेस के सदस्यों ने देर तक आपत्ति जताई.
हालांकि, कार्यवाहक अध्यक्ष कुमार ने आश्वासन दिया कि साध्वी प्रज्ञा का जो नाम निर्वाचन प्रमाणपत्र में लिखा होगा वही सदन के रिकार्ड में दर्ज किया जाएगा. साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने लेाकसभा चुनाव में भोपाल से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को हराया है. मालेगांव ब्लास्ट की आरोपी प्रज्ञा महात्मा गांधी के हत्या के दोषी नाथूराम गोडसे और महाराष्ट्र एटीएस के पूर्व प्रमुख और मुंबई आतंकवादी हमले दौरान जान गंवाने वाले हेमंत करकरे के बारे में चुनाव प्रचार के दौरान दिए गए उनके बयानों को लेकर विवादों में रही हैं.