हैदराबाद : संयुक्त राज्य अमेरिका का लोकतंत्र अपने सबसे नाजुक दौर से गुजर रहा है. विशेष रूप से वहां की चुनावी प्रक्रिया. वर्षों से अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव प्रमुख दावेदारों के बीच अपनी उत्कृष्ट नीतिगत बहस के लिए जाने जाते थे. आश्चर्यजनक रूप से स्वतंत्र, निष्पक्ष और खुले चुनाव होते थे. चुनाव के बाद शांतिपूर्ण ढंग से सत्ता हस्तांतरण के बारे में रत्ती भर भी संदेह का कोई कारण नहीं रहा था. अपने घर के चुनावी लोकतंत्र की मजबूती दिखाते हुए अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में अक्सर उच्च नैतिक आधार पेश किया है. स्वच्छ चुनाव आयोजित करने और शांतिपूर्ण ढंग से सत्ता हस्तांतरण सुनिश्चित करने में नाकाम रहने पर दुनिया भर के विभिन्न देशों को दंड देते रहा है. आज अमेरिकी चुनाव प्रक्रिया का स्तर गिरने से दुनिया हक्का-बक्का दिख रही है.
अमेरिकी राजनीति में राजनीतिक बयानबाजी नए नीचले स्तर पर उतर गई है क्योंकि राजनीतिक विरोधी एक-दूसरे को अपराधी और मसखरा कह रहे हैं. राष्ट्रपति पद दे दोनों उम्मीदवारों की पहली बहस कटुतापूर्ण थी, और चुनाव लड़ने वाले राष्ट्रपति पद के दोनों उम्मीदवारों के बीच वास्तविक नीतियों पर बहुत कम चर्चा हुई थी. महामारी को देखते हुए बड़ी संख्या में लोग अनुपस्थित मतों (एबसेन्टी बैलेट) के माध्यम से मतदान कर रहे हैं. हालांकि, राष्ट्रपति ट्रंप और अन्य लोगों ने इन अनुपस्थिति मतों और मेल-इन प्रावधानों का दुरुपयोग किए जाने का संदेह व्यक्त किया है. दोनों पक्षों के राजनीतिक नेता मुकदमों के साथ अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच रहे हैं. इन मुकदमों में मतदान प्रक्रियाओं के उल्लंघन किए जाने का तर्क दिया जा रहा है या प्रक्रियाओं की छूट के लिए अनुरोध किया जा रहा है. यह घटनाक्रम संकेत देते हैं कि मतदान के बाद औपचारिक तौर पर परिणाम घोषित होने से पहले लंबी अदालती लड़ाई चल सकती है. इन सभी घटनाक्रमों के बीच राष्ट्रपति ट्रंप ने आसानी से सत्ता हस्तांतरण के लिए कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई है. पत्रकारों के पूछने पर उन्होंने कहा कि मुझे मतपत्रों के बारे में बहुत दृढ़ता से शिकायत की गई है और मतपत्र एक आपदा हैं. मतपत्रों से छुटकारा पाएं और आपके पास बहुत कुछ होगा. आपके पास बहुत शांति होगी. कोई हस्तांतरण नहीं होगा, स्पष्ट रूप से एक निरंतरता होगी. वास्तव में अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस बात का जवाब नहीं दिया है कि सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण होगा, इससे दुनिया की विभिन्न राजधानियों में बेचैनी है.
यह चुनाव महामारी के बीच दुख को कम करने के लिए हो रहे हैं. इसके परिणामस्वरूप चुनाव की आम गतिविधियां जैसे कि घर-घर संपर्क अभियान, बड़ी राजनीतिक रैलियां और अन्य संबंधित गतिविधियां कम कर दी गईं. हालांकि, राष्ट्रपति ट्रंप ने आगे बढ़कर बड़ी बैठकें आयोजित कीं और दावा किया कि डेमोक्रेट्स इस तरह के आयोजन इसलिए नहीं कर रहे हैं क्योंकि उनकी सभाओं में बड़ी भीड़ नहीं जुट रही है. अमेरिका में आज चुनाव अभियान की प्रकृति पर काफी बहस चल रही है कि महामारी के बीच में किस तरह का इसका आयोजन किया जाना चाहिए. वास्तव में, कोविड- 19 के प्रभाव के कम होने से पहले और बाद में ट्रंप के मुक्त घूमने और बड़ी संख्या में लोगों के साथ बातचीत करना एक बड़ा विवादास्पद मुद्दा बन गया है.
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में कोविड महामारी को लेकर अमेरिकी सरकार की प्रतिक्रिया एक महत्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दा है. डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडेन ने महामारी के प्रसार को रोकने के लिए उचित कार्रवाई करके अमेरिकी लोगों की रक्षा करने में विफल रहने के लिए वर्तमान प्रशासन के सुस्त रवैये की तीखी आलोचना की है. दूसरी ओर ट्रंप अक्सर कोविड-19 को 'चाइना वायरस' करार देते हैं. इस तरह से लक्षण वर्णन इस तर्क को विश्वसनीय बनाने का एक प्रयास है कि आसन्न संकट के बारे में चीन की ओर से समयबद्ध तरीके से जानकारी के प्रवाह की कमी थी, जिसने अमेरिका में घातक घटनाओं में योगदान दिया. इसके अलावा ट्रंप का तर्क है कि कड़ाई से लॉकडाउन लगाने से राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. पिछले कुछ दिनों में ट्रंप ने तर्क दिया है कि महामारी के कारण मंदी के बाद अर्थव्यवस्था गति पकड़ रही है. यह अभी भी निश्चित नहीं है कि महामारी के कारण आर्थिक रूप से पीड़ित लोगों को आगामी चुनावों में वोट किसे देंगे. यह संभव है कि उनमें से कुछ महामारी को कम करने के ट्रंप के तर्क से सहमत हों और अर्थव्यवस्था को थोड़ा और आकर्षक बनाने की अनुमति देने पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है. दिलचस्प बात यह है कि अक्टूबर की शुरुआत में गैलप सर्वेक्षण में 54 फीसद अमेरिकियों ने महसूस किया कि अर्थव्यवस्था पर ट्रंप का काम अच्छा था.
विभिन्न चुनाव-पूर्व सर्वेक्षणों से पता चलता है कि देश के चुनावों में राष्ट्रपति ट्रंप से जो बाइडेन आगे (करीब 9 से 10 फीसद तक) हैं. दूसरी ओर चुनावी युद्ध के मैदानों में दो दावेदारों के बीच मुकाबला बहुत संकीर्ण होता जा रहा है. कुछ चुनावों के अनुसार, फ्लोरिडा में, उत्तरी कैरोलिना और एरिज़ोना जो बिडेन से कम अंतर से आगे चल रहे हैं. आयोवा और ओहियो में ट्रंप दो फीसदी से कम मार्जिन से आगे हैं. यह संख्या आने वाले दिनों में बदल सकती है. गौरतलब यह है कि इस समय के आसपास पिछले राष्ट्रपति चुनावों के दौरान, सीनेटर हिलेरी क्लिंटन ने विभिन्न चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में अपने प्रतिद्वंद्वी डोनाल्ड ट्रंप पर स्पष्ट बढ़त हासिल की थी. हालांकि, चुनाव परिणामों ने उल्टा प्रदर्शित किया, सर्वेक्षक राष्ट्र के मूड को ठीक से पकड़ नहीं पाए. अत्यधिक ध्रुवीकृत वातावरण में, चुनाव परिणाम की भविष्यवाणी करना एक भिन्नता है.